- वैयक्तिक भिन्नता का प्रमुख आधार है – वंशानुक्रम तथा पर्यावरण
- वैयक्तिक विभिन्नता का कारण है – वंशानुक्रम
- निम्नलिखित कारण व्यक्तिगत भेद के हैं, सिवाय – शिक्षा व्यवस्था
- व्यक्तिगत भेद के कारण है – वंशानुक्रम और वातावरण
- व्यक्तिगत भेद का यह कारण नहीं है – जनसंख्या वृद्धि
- ”व्यक्तिगत विभिन्नता में सम्पूर्ण व्यक्तित्व का कोई भी ऐसा पहलू सम्मिलित हो सकता है, जिसका माप किया जा सकता है।” यह कथन किसका है? – स्किनर का
- ”अन्य बालकों की विभिन्नताओं के मुख्य कारणों को प्रेरणा, बुद्धि, परपिक्वता, पर्यावरण सम्बन्धी उद्दीपन की विभिन्नताओं द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।” यह कथन किसका है – गैरिसन व अन्य का
- ”विद्यालय का यह कर्तव्य है कि वह प्रत्येक बालक के लिए उपयुक्त शिक्षा की व्यवस्था करे, भले ही वह अन्य सब बालकों से कितना ही भिन्न क्यों न हो।” किसने लिखा है? – क्रो एवं क्रो ने
- असामान्य व्यक्तित्व वाले बालक होते हैं – प्रतिभाशाली
- ”भय अनेक बालकों की झूठी बातों का मूल कारण होता है।” यह कथन किस मनोवैज्ञानिक का है – स्ट्रैंग का
- प्रतिभाशाली बालकों की बुद्धिलब्धि होती है – 130 से अधिक
- पिछड़े बालक वे हैं – जो किसी बात को बार-बार समझाने पर भी नहीं समझते हैं।
- प्रतिभाशाली बालक की विशेषता इनमें से कौन-सी है? – साहसी जीवन पसन्द करते हैं, खेल में अधिक रुचि लेते है, अमूर्त विषयों में रुचि लेते हैं,
- ”शैक्षिक पिछड़ापन अनेक कारणों का परिणाम है। अधिगम में मन्दता उत्पन्न करने के लिए अनेक कारण एक साथ मिल जाते हैं। यह कथन किसने दिया है – कुप्पूस्वामी ने
- ”कोई भी बालक, जिसका व्यवहार सामान्य सामाजिक व्यवहार से इतना भिन्न हो जाए कि उसे समाज विरोधी कहा जा सके, बाल-अपराधी है।” यह कथन किसका है – गुड का
- बाल-अपराध के प्रमुख कारण है – आनुवंशिक कारण, शारीरिक कारण, मनोवैज्ञानिक कारण
- समस्यात्मक बालकोंके प्रमुख प्रकारों में किसको सम्मिलित नहीं करेंगे? – अनुशासन में रहने वाले बालक को
- मन्दबुद्धि बालक की स्किनर के अनुसार कौन-सी विशेषता है? – दूसरों को मित्र बनाने की अधिक इच्छा, आत्मविश्वास का अभाव, संवेगात्मक और सामाजिक असमायोजन
- प्रतिभावान बालकों की पहचान किस प्रकार की जा सकती है – बुद्धि परीक्षा द्वारा, अभिरूचि परीक्षण द्वारा, उपलब्धि परीक्षण द्वारा
- प्रतिशाली बालकों की समस्या है – गिरोहों में शामिल होना, अध्यापन विधियां, स्कूल विषयों और व्यवसायों के चयन की समस्या
- निम्नलिखित में समस्यात्मक बालक कौन है – चोरी करने वाले बालक
- बालकों के समस्यात्मक व्यवहार का कारण नहीं है – मनोरंजन की सुविधा
- वंचित वर्ग के बालकों के अन्तर्गत बालक आते हैं – अन्ध व अपंग बालक, मन्द-बुद्धि व हकलाने वाले बालक, पूर्ण बधिर या आंशिक बधिर
- पिछड़ा बालक वह है जो – ”अपने अध्ययन के मध्यकाल में अपनी कक्षा कार्य, जो अपनी आयु के अनुसार एक कक्षा नीचे का है, करने में असमर्थ रहता है।” उक्त कथन है – बर्ट का
- ”कुशाग्र अथवा प्रतिभावान बालक वे हैं जो लगातार किसी भी कार्य क्षेत्रमें अपनी कार्यकुशलता का परिचय देता है।” उक्त कथन है – टरमन का
- प्रतिभावान बालकों में किस अवस्था के लक्षण शीघ्र दिखाई देते हैं – बाल्यावस्था के
- प्रतिभाशाली बालकों की समस्या निम्न में से नहीं है – समाज में समायोजन
- प्रतिभाशाली बालक होते हैं – जन्मजात
- विकलांग बालकों के अन्तर्गत आते हैं – नेत्रहीन बालक, शारीरिक-विकलांग बालक, गूंगे तथा बहरे बालक
- विद्यालय में बालकों के मानसिक स्वास्थ्य को कौन-सा कारक प्रभावित करता है? – मित्रता
- मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की विशेषता होती है – संवेगात्मक रूप से अस्थिर, रुचियां सीमित होती है, निरन्तर अवयवस्था का होना।
- मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की पहचान निम्न में से कर सकते हैं – बुद्धि परीक्षण, उपलब्धि परीक्षण, मन्द बुद्धि बालकों की विशेषताओं को कसौटी मानकर
- ”वह बालक जो व्यवहार के सामाजिक मापदण्ड से विचलित हो जाता है या भटक जाता है बाल अपराधी कहलाता है।” उक्त कथन है – हीली का
- शारीरिक रूप से विकलांग बालक निम्न में से नहीं होते हैं – स्वस्थ
- सृजनशील बालकों का लक्षण है – जिज्ञासा
- मन्द-बुद्धि बालक की विशेषता नहीं होती है, जो कि – बुद्धि-लब्धि 105 से 110 के बीच होना।
- ”परामर्श का उद्देश्य है छात्र को अपनी विशिष्ट योजनाओं और उचित दृष्टिकोण का विकास करने के समाधान में सहायता देना।” यह कथन है – जे. सी. अग्रवाल का
- समायोजन मुख्य रूप से – व्यक्ति की आन्तरिक शकितयों पर निर्भर होता है, पर्यावरण की अनुकूलता पर निर्भर होता है।
- समस्यात्मक बालक के लक्षण है – विशेष प्रकार की शारीरिक रचना
- ”सृजनात्मक नई वस्तु का सृजन करने की योग्यता है। व्यापक अर्थ में, सृजनात्मक से तात्पर्य, नए विचारों एवं प्रतिभाओं के योग की कल्पना से है तथा (जब स्वयं प्रेरित हों, देसरे का अनुकरण न करें) विचारों का संश्लेषण हो और जहां मानसिक कार्य केवल दूसरों के विचार का योग न हो।” उपर्युक्त कथन है – जेम्स ड्रेवर का
- सृजनात्मक योग्यता वाले बालकों की बुद्धि – प्रखर होती है
- प्रतिभावान बालकों की पहचान किस प्रकार की जा सकती है – बुद्धि परीक्षा द्वारा, अभिरूचि परीक्षण द्वारा, उपलब्धि परीक्षण द्वारा
- प्रतिभाशाली बालकों की समस्या है – गिरोहों में शामिल होना, अध्यापन विधियां, स्कूल विषयों और व्यवसायों के चयन की समस्या
- निम्नलिखित में से विशिष्ट योग्यता की मुख्य विशेषता है – विशिष्ट योग्यता व्यक्ति में भिन्न-भिन्न मात्रा पाई जाती है, इस योग्यता को प्रयास द्वारा अर्जित किया जा सकता है।
- ”किसी व्यक्ति को कौन-से विषय पढ़ने चाहिए, कौन-से व्यवसाय करने चाहिए, किस क्षेत्र में उसे अधिक सफलता मिल सकती है। अभिरुचि निर्देशन करने के लिए अभिरुचियों के मापन की आवश्यकता पड़ती है। अभिरुचि परीक्षण का मुख्य अभिप्राय मानवीय पदार्थ का उत्तम प्रयोग करना है और अतिशय को रोकनाहै।” उपर्युक्त कथन है – एन. तिवारी का
- अन्धे बालकों को शिक्षण दिया जाता है – ब्रैल पद्धति द्वारा
- निम्नलिखित में समस्यात्मक बालककौन है – चोरी करने वाले बालक
- बालकों के समस्यात्मक व्यवहार का कारण नहीं है – मनोरंजन की सुविधा
- ब्रोन फ्रेन बेनर ने समाजमिति विधि किस तथ्य का विवरण एवं मूल्यांकन माना है – सामाजिक स्थिति, सामाजिक ढांचा, सामाजिक चेष्टा
- जेविंग्स के अनुसार समाजमिति विधि है – सामाजिक ढांचे की सरलतम प्रस्तुति, सामाजिक ढांचे की रेखीय प्रस्तुति
- समाजमिति विधि में तथ्यों के प्रस्तुतीकरण एवं व्यवस्था के लिये प्रयोग की जाने वाली पद्धति है – समाज चित्र, समाज सारणी
- समाजमिति विधि के जन्मदाता है – मौरेनो
- Who Shall Sevive पुस्तक के लेखक हैं – मौरेनो
- वी.वी.अकोलकर के अनुसार सामाजिक प्रविधि है – समूह की संरचना की अध्ययन प्रविधि, समूह का स्तर मापने की प्रविधि
- ‘एक बालक प्रतिदिन कक्षा से भाग जाता है।‘ वह बालक है – पिछड़ा बालक
- रेटिंग एंगल एवं प्रश्नावली किस प्रविधि से सम्बन्धित है – मूल्यांकन विधि से
- व्यक्ति अध्ययन विधि में प्रमुख भूमिका होती है – सूचना की
- ”व्यक्ति अध्ययन विधि का मुख्य उद्देश्य किसी कारण का निदान है।” यह कथन है – क्रो एण्ड क्रो
- व्यक्ति अध्ययन विधि में किस प्रकार की सूचनाओं की आवश्यकता होती है – पारिवारिक, सामाजिक, सामान्य एवं शारीरिक
- प्रतिभाशाली बालकों की शिक्षण विधि है – गतिवर्द्धन, सम्पन्नीकरण, विशिष्ट कक्षाएं
- ”सृजनात्मक से आशय पूर्ण अथवा आंशिक रूप से तीन वस्तु के उत्पादन से है।” उक्त कथन है – रूसो का
- निम्न में से पलायनशीलता के कारण हैं – कल्पना की अधिकता, कुसमायोजन, दोषपूर्ण शिक्षण पद्धति
- ”बालकों में सृजनाशीलता के विकास हेतु सकारात्मक अभिवृत्ति के निर्माण में विद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका है।” उक्त कथन है – डॉ. एस. एस. चौहान का
- विद्यालयों में तीव्र एवं मन्द-बुद्धि बालकों के लिए निम्न में से शैक्षणिक व्यवस्था होनी चाहिए – अवसर की समानता, पाठ्यक्रम में समृद्धि, अहमन्यता को रोकना
- विशिष्ट बालक में प्रमुख विशेषता है – साधारण बालकों से भिन्न गुण एवं व्यवहार वाला बालक
- प्रतिभाशाली बालक की विशेषता है – तर्क, स्मृति, कल्पना, आदि मानसिक तत्वों का विकास। उदार एवं हॅसमुख प्रवृत्ति के होते है, दूसरों का सम्मान करते हैं, चिढ़ाते नहीं हैं
- विशिष्ट बालकों की श्रेणी में आते हैं केवल – प्रतिभाशाली बालक, पिछड़े बालक, समस्यात्मक बालक
- शारीरिक रूप से अक्षम बालकों को किस श्रेणी में रखते हैं – विकलांग
- ”प्रतिभाशाली बालक शारीरिक गठन, सामाजिक समायोजन, व्यक्तित्व के गुणों, विद्यालय उपलब्धि, खेल की सूचनाओं और रुचियों की विविधता में औसत बालकों से श्रेष्ठ होते हैं।” यह कथन है – टरमन एवं ओडम का
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य सांख्यिाकीय विधि से सम्बन्धित है – संकलन, वर्गीकरण, विश्लेषण
- टरमन के अनुसार प्रतिभाशाली बालक की बुद्धि-लब्धि कितने से अधिक होती है – 140
- ”जो बालक कक्षा में विशेष योग्यता रखते हैं उनको प्रतिभाशाली कहते हैं।” यह कथन है – क्रो एवं क्रो का
- चोरी, झूठ व क्रोध करने वाला बालक है – समस्यात्मक
- ”जिस बालक की शैक्षिक लब्धि85 से कम होतीहै उसे पिछड़ा बालक कहा जा सकता है।” यह कथन है – बर्ट का
- ”जिस बालक की बुद्धि-लब्धि 70 से कम होती है उसको मन्द-बुद्धि बालक कहते हैं।” यह कथन है – क्रो एवं क्रो का
- ”एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या उसे सीमित रखता है, उसको हम विकलांग कह सकते हैं।” यह कथन है – क्रो एवं क्रो का
- ”प्रतिभाशाली बालक 80 प्रतिशत धैर्य नहीं खोते, 96 प्रतिशत अनुशासित होते हैं तथा 58 प्रतिशत मित्र बनाने की इच्छा रखते हैं।” यह कथन है – विटी का
- ‘Survey of the Education of Gifted Children’ नामक पुस्तक लिखी है – हैविंगहर्स्ट ने
- ‘The Causes and Treatment of Backwardness’ नामक पुस्तक लिखी है – बर्ट ने
- प्रतिभाशाली बच्चों की पहचान की जा सकती है – विधिवत अवलोकन द्वारा, प्रमापीकृत परीक्षणों द्वारा
- समस्यात्मक बालकों की शिक्षा के समय निम्न बातें ध्यान में रखनी चाहिए – बालकों को मनोरंजन के उचित अवसर दिये जाएं। शिक्षकों का मधुर व सहायोगात्मक व्यवहार
- ‘Introduction of Psychology’ नामक पुस्तक लिखी है – हिलगार्ड व अटकिंसन ने
- प्रतिभाशाली बालकों को कहा जाता है – श्रेष्ठ बालक, तीव्र सीखने वाले, निपुण बालक
- जिस सहानुभूति में क्रियाशीलता होती है, वह है – निष्क्रिय
- बालक को सामाजिक व्यवहार की शिक्षा दी जा सकती है – शारीरिक गतियों से
- दूसरे व्यक्तियों में संवेग देखकर हम उसका करने लगते है – घृणा
- निष्क्रिय सहानुभूति होती है – मौखिक व कृत्रिम
- प्रतिभावान बालकों की पहचान करने के लिए हमें सबसे अधिक महत्व – वस्तुनिष्ठ परीक्षणों को देना चाहिए।
- ”निर्देशन वह सहायता है जो एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को विकल्प चुनने एवं समायोजन प्राप्त करने तथा समस्या हल करने के लिए दी जाती है।” उक्त कथन है – जोन्स का
- ”कक्षा में जो सम्बन्धों के प्रतिमान अथवा समूह परिस्थिति होती है वह सीखने पर प्रभाव डालती है।” उक्त कथन है – बोवार्ड का
- ”कक्षा-शिक्षण में जो सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव हैं; वह दूसरों के साथ अन्त:क्रिया करना है।” उक्त कथन है – रिट का
- निम्न में से निर्देशन दिया जा सकता है – अध्यापक को, डॉक्टरों को छात्रों को
- जो निर्देशन एक व्यक्ति को उसकी व्यावसायिक तथा जीविका में उननति सम्बन्धी समस्याओं को हल करने के लिए उसकी व्यक्तिगत विशेषताओं को उसके जीविका सम्बन्धी अवसरों के सम्बन्ध में ध्यान रखते हुए दिया जाता है, वह कहलाता है – व्यावसायिक निर्देशन
- ”प्रभावशाली बालक वे होते हैं जिनका नाड़ी संस्थान श्रेष्ठ होता है।” उक्त कथन है – सिम्पसन का, तयूकिंग का
- ”ऐसे व्यक्ति जिनमें ऐसा शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे साधारण क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या उसे सीमित रखता है, ऐसे व्यक्ति को हम विकलांग व्यक्ति कह सकते हैं।” उक्त कथन है – क्रो एवं क्रो का
- सृजनात्मक बालक की प्रकृति होती है – सृजनात्मक बालक सदैव सफलता की ओर उन्मुख रहते हैं।
- मन्दगति से सीखने वाले बालकों की शिक्षा के लिए क्या कदम उठाना चाहिए – आवासीय विद्यालय, विशेष विद्यालय, विशेष कक्षा
- ”विशिष्ट बालक वह है जो मानसिक, शारीरिक व सामाजिक विशेषताओं से युक्त होते हैं”, उक्त कथन है – क्रिक का
- बालापराध का कारण दूषित वातावरण भी होता है। दूषित वातावरण से आशय है – वेश्यालय, शराबखाना, जुआघर
- गम्भीर मन्दितमना वाले बालकों की शिक्षा-लब्धि होती है – 19 से कम
- निम्न में से पिछड़े बालक की समस्या है – स्कूल सम्बन्धी समस्याएं, संवेगात्मक समस्याएं, सामाजिक समस्याएं
- साधारण मन्दिमना वाले बालकों की शिक्ष-लब्धि होती है – 51-36
- पिछड़े बालकों को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी करने के लिए क्या करना चाहिए – पिछड़ेपन के कारणों की खोज करना, व्यक्तिगत ध्यान, पाठान्तर क्रियाओं की व्यवस्था
- ”बालकों में सृजनशीलता के विकास हेतु सकारात्मक अभिवृत्ति के निर्माण में विद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।” उक्त कथन है – डॉ. एस.एस. चौहान का
- ”सृजनात्मक वह कार्य है जिसका परिणाम नवीन हो और जो किसी समय किसी सकूह द्वारा उपयोगी या सन्तोषजनक रूप में मान्य हों।” यह परिभाषा किसने प्रतिपादित की – स्टेन ने
- ”मानसिक स्वास्थ्य सम्पूर्ण व्यक्तित्व का सामंजस्यपूर्ण कृत्य है।” यह कथन किस मनोवैज्ञानिक का है – हैडफील्ड का
- मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की बुद्धि-लब्धि मानी गई है – 70 से 80 के बीच
- शारीरिक अस्वस्थता, काम प्रवृत्ति का प्रवाह तथा मन्द गति से विकास बालापराध के किस कारण के अन्तर्गत आते हैं – व्यक्तिगत कारण
- बाल्यावस्था में बालक दृष्टिकोण अपनाना आरम्भ करता है – यथार्थवादी दृष्टिकोण
- सृजनात्मकता का अर्थ है – सृजन या रचना सम्बन्धी योग्यता
- ”सृजनात्मकता मौलिकपरिणामों को अभिव्यक्त करने की मानसिक प्रक्रिया है।” यह कथन है – क्रो एवं क्रो का
- सृजनात्मकता की विशेषता कौन-सी नहीं है – केन्द्रानुमुखता
- सृजनात्मकता में किस तत्व का योग नहीं है – बनावटीपन का
- किसी बालक में निहित सृजनशीलता को पता करने के दो प्रकार है – परीक्षण निरीक्षण
- ”सृजनात्मकता मुख्यत: नवीन रचना या उत्पादन में होती है।” यह कथन है – ड्रेवर का
- सृजनशील बालक के गुण है – विनोदी प्रवृत्ति, समायोजनशील, सौन्दर्यात्मक विकास
- सृजनात्मकता का तात्पर्य है – यह व्यक्ति में नये-नये कार्य करने की क्षमता और शक्ति है।
- सृजनात्मकता की है जो व्यक्ति को बनाती है उच्चकोटि का – साहित्यकार
- निम्नलिखित में से कौन-सा सिद्धान्त सृजनात्मकता के बारे में नहीं है – प्रतिष्ठावाद
- ‘मानसिक तथा शिक्षा-लब्धि परीक्षण’ नामक पुस्तक किसने लिखी है – बर्ट ने
- बालक का मानसिक विकास सम्भव नहीं है – प्रेमपूर्ण वातावरण में
- किशोर के मानसिक विकास का मुख्य लक्षण है – मानसिक स्वतन्त्रता
- अच्छी आर्थिक स्थिति वाले बच्चे प्रतिभाशाली होते हैं, कारण है – उचित भोजन, उपचार के पर्याप्त साधन, उत्तम शैक्षिक अवसर
- बालक में तर्क और समस्या-समाधान की शक्ति का विकास होता है – बारहवें वर्ष में
- ”सहयोग करने वाले में ‘हम की भावना’ का विकास और उनके साथ काम करने की क्षमता का विकास तथा संकल्प समाजीकरण कहलाता है।” यह कथन है – क्रो व क्रो का
- ”किशोर का चिन्तन बहुधा शक्तिशाली पक्षपातों और पूर्व-निर्णयों से प्रभावित रहता है।” यह कथन है – एलिस क्रो का
- बालक की मानिसक योग्यताएं हैं – संवेदना
- शारीरिक परिवर्तन के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया गया है, वह है – परिपक्वता, अभिवृद्धि, विकास
- शिक्षक को बालकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए – मनोवैज्ञानिक पद्धति से
- ”एक व्यक्ति लकड़ी से मनचाही कलात्मक वस्तु बना सकता है। चित्रकार मनचाहे रंगों से चित्र की सजीवता प्रकट कर सकता है, इसी प्रकार मूर्तिकार एवं वास्तुविद् भी अपनी-अपनी कलाओं की छाप छोड़ते हैं, यह तो सृजनात्मकता है।” उपर्युक्त कथन है – बिने का
- ”अभिरुचियां किसी व्यक्ति को प्रशिक्षण के उपरान्त ज्ञान, दक्षता या प्रतिक्रियाओं को सीखने की योग्यता है।” यह कथन है – चारेन का
- वे बालक जो सामाजिक, भावनात्मक, बौद्धि, शैक्षिक किसी भी या सभी पक्षों में औसत बालकों से भिन्न होते हैं तथा सामान्य विद्यालयी कार्यक्रम उनके लिए पर्याप्त नहीं होते हैं, कहलाते हैं – असामान्य बालक
- व्यक्ति के मानसिक तनाव को कम करने की प्रत्यक्ष विधि है – बाधा दूर करना
- बाल अपराध के लिए बुरी संगति को उत्तरदायी किसने माना है – हीली व ब्रोनर ने
- पिछड़े बालकों को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रसर करने के लिए क्या करना चाहिए – घर तथा स्कूल में बालकों के समायोजन में सहायता, विशेष स्कूलों की व्यवस्था, पाठान्तर क्रियाओं की व्यवस्था
- मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की समस्या निम्न में से नहीं है – परिवार में समायोजित होते हैं।
- बाल अपराध को दूर करने के लिए क्या करना चाहिए – परिवार के वातावरण में सुधार, स्कूल के वातावरण में सुधार, समाज के वातावरण में सुधार
- बालापराध की वह विधि जिसमें बालक की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सामाजिक वातावरण में परिवर्तन लाया जाता है, वह है – वातावरणात्मक विधि
- ”सृजनात्मकता मुख्यत: नवीन रचना या उत्पादन में होती है।” यह कथन है – ड्यूबी का
- गिलफोर्ड ने सृजनात्मकता के अनेक परीक्षण बताये हैं, जिनमें प्रमुख है – चित्रपूर्ति परीक्षण, प्रोडक्ट इम्प्रूवमैन्ट टास्क
- टोरेन्स ने सृजनात्मक व्यक्ति की कितनी व्यक्तित्व विशेषताओं की सूची तैयार की है – 84
- ”सृजनात्मकता का एक गुण है जिसमें किसी नवीन तथा इच्छित वस्तु का निर्माण किया जाता है।” यह कथन है – इन्द्रेकर का
- बालक के मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण है – विद्यालय का वातावरण, सामाजिक वातावरण, पारिवारिक वातावरण
- ”वह बालक जो अपने अध्ययन के मध्यकाल में अपनी कक्षा का कार्य जो उसकी आयु के अनुसार सामान्य है, करने में असमर्थ रहता है।” वह कौन-सा बालक है – पिछड़ा बालक
- कोई भी व्यवहार जो सामाजिक नियमों या कानूनों के विरुद्ध बालकों द्वारा किया जाता है, तो वह कहलाता है – बालापराध
- निम्नलिखित में से कौन-सा कारक जटिल बालकों की जटिलताओं को जन्म नहीं देता है – अच्छी संगत
- बालापराध के कारण है – वंशानुक्रमीय वातावरण, समाज व पारिवारिक वातावरण, विद्यालय का वातावरण
- निम्न में से बालापराध का कारण नहीं है – वंशानुक्रम, मन्दबुद्धिता, निर्धनता
- विकलांक बालकों से हम – समझते हैं, जो शारीरिक दोष रखते हैं।
- ”चोरी करना जन्मजात है। इसके पीछे बालक की संचय करने की मनोकामना छिपी रहती है।” उक्त कथन है – कॉलेसनिक का
- प्रतिभाशाली बालकों में कौन-सा मानवीय गुण होता है – सहयोग, ईमानदारी, दयालुता
- ”प्रतिभावान लड़के घर में बैठना पसन्द करते है तथा अधिक क्रियाशील तथा झगड़ालू होते है।” उक्त कथन है – ट्रो का
- जो बालक समाज में मान्य, उपयोगी एवं किसी प्रकार का नवीन मौलिक कार्य करते है, ऐसे बालक कहलाते है – सृजनशील
- प्लेटो ने कब कहा था कि उच्च बुद्धि वाले बालको का चयन करके उन्हें विज्ञान, आदि की शिक्षा देनी चाहिए – 2000 वर्ष पूर्व
- ”व्यवहार के सामाजिक नियमो से विचलित होने वाले बालक को अपराधी कहते है।” उक्त कथन है – एडलर का
- मनोनाटकीय विधि के प्रवर्तक कौन हैं – ट्रो
- ”वह हर बच्चा जो अपनी आयु स्तर के बच्चो में किसी योग्यता में अधिक हो और जो हमारे समाज के लिए कुछ महत्वपूर्ण नई देन दे, प्रतिभाशाली बालक है।” उक्त कथन है – कॉलेसनिक का
- निरीक्षण और मापन पर विशेष बल देने वाला सम्प्रदाय है – व्यवहारवाद
- शिक्षा में संवेगों का क्या महत्व है – बालक के सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है।
- ”मूल प्रवृत्तियां चरित्र निर्माण करने के लिए कच्ची सामग्री है। शिक्षक को अपने सब कार्यों में उनके प्रति ध्यान देना आवश्यक है।” यह कथन है – रॉस का
- मूल प्रवृति क्रिया करने का बिना सीखा स्वरूप है। जैसे-मूल प्रवृत्ति है – काम
- ”आदत एक सामान्य प्रवृति है। इस प्रवृत्ति का शिक्षा में सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है।” यह कथन है – रॉस का
- मैकडूगल ने अनुकरण के कई प्रकार बताए हैं। निम्न में से कौन-सा उनमें से नहीं है – अचेतन अनुकरण
- बालक चेतन रूप से सीखने का प्रयास करता है – अनुकरण द्वारा
- समंजन दूषित होता है – कुण्ठा से एवं संघर्ष से
- अधिगम में उन्नति पूर्ण सम्भव है – सिद्धान्त रूप में
- ‘An Introduction to Social Psychology’ नामक पुस्तक में ‘मूल प्रवृत्तियो के सिद्धान्त’ का प्रतिपादन सन् 1908 में किसने किया था – मैक्डूगल ने
- चिन्तन शक्ति का प्रयोग देने का अवसर देते है – तर्क, वाद-विवाद, समस्या-समाधान
- बालक का समाजीकरण निम्नलिखित तकलीक से निर्धारित होता है – समाजमिति तकनीक
- मूल प्रवृत्तियों में जिसका वर्गीकरण मौलिक और सर्वमान्य है, वह है – मैक्डूगल
- समायोजन की विधियां है – उदात्तीकराण्, प्रक्षेपण, प्रतिगमन
- समायोजन दूषित होता है – कुण्ठा से व संघर्ष से
- एक समायोजित व्यक्ति की विशेषता नहीं है – वैयक्तिक उद्देश्यों का प्रदर्शन
- बालक के लिए मानसिक स्वास्थ्य के विकास के लिए पाठ्यक्रम होना चाहिए – रुचियों के अनुकूल
- वैयक्तिक विभिन्नता का मुख्य कारण निम्नलिखित में से है – आयु एवं बुद्धि का प्रभाव
- बालक को सीखने के समय ही जिस क्रिया को सीखना होता है, टेपरिकॉर्डर पर रिकॉर्ड करके उसका सम्बन्ध मस्तिष्क से कर दिया जाता है। यह कथन है – सुप्त अधिगम
- निम्न में से अधिगम की विधियां है – ये विधि
- ”अपनी स्वाभाविक त्रुटियों के कारण वैज्ञानिक विधि के रूप में निरीक्ष्ाण विधि अविश्वसनीय है।” यह कथन है – डगलस एवं हालैण्ड का
- साक्षात्कार को माना जाता है – आत्मनिष्ठ विधि
- साक्षात्कार मे कम-से-कम व्यक्तियों की संख्या होती है – दो
- किसी उद्देश्य से किया गया गम्भीर वार्तालाप ही साक्षात्कार है। यह कथन है – गुड एवं हैट का
- साक्षात्कार को समस्या समाधान के रूप में किस विद्वान ने परिभाषित किया है – जे. सी. अग्रवाल ने
- साक्षात्कार का स्वरूप होता है – विभिन्न प्रकार का
- नैदानिक साक्षात्कार का प्रमुख उद्देश्य होता है – समस्या के कारणों की खोज, घटना के कारणों की खोज
- व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करने से पूर्व किया गया साक्षात्कार कहलाता हैं – नैदानिक साक्षात्कार
- शोध साक्षातकार का उद्देश्य होता है – शोधकर्ता के ज्ञान की परीक्षा
- एक बालक को शिक्षक के द्वारा पढ़ने के लिए सलाह दी जाती है तथा पढ़ाई में आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जाता है। इस प्रकार के साक्षात्कार को माना जायेगा – परामर्श साक्षात्कार
- निम्नलिखित में कौन-सी प्रविधि साक्षात्कार से सम्बन्धित है – निर्देशात्मक प्रविधि, अनिर्देशात्मक प्रविधि
- साक्षात्कार का प्रथम सोपान है – समस्या की जानकारी प्राप्त करना।
- क्रो एण्ड क्रो के अनुसार साक्षात्कार का प्रयोग किया जाता है – निर्देशन में
- किस विद्वान ने साक्षात्कार को परामर्श की प्रक्रिया माना है – रूथ स्ट्रैंग ने
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य साक्षात्कार की दशाओं से सम्बन्धित है – उचित वातावरण, आत्मीय व्यवहार, पर्याप्त समय
- ग्रीनवुड के अनुसार प्रयोग प्रभाव होता है – उपकल्पना का
- उपकल्पना का निर्माण प्रयोग का सोपान है – द्वितीय
- ”चर वह लक्षण या गुण है जो विभिन्न प्रकार के मूल्य ग्रहण कर लेता है।” यह कथन है – पोस्टमैन का तथा ईगन का
- प्रयोग के परिणाम में जांच होती है – उपकल्पना की
- विवरणात्मक विधि में तथ्य या घटनाओं को एकत्रित किया जाता है – विवरणात्मक रूप में
- विकासात्मक पद्धति का द्वितीय नाम है – उत्पत्तिमूलक विधि
- गर्भावस्था से किशोरावस्था तक बालकों की वृद्धि एवं विकास का अध्ययन सम्बन्धित है – विकासात्मक विधि से
- मानसिक उपचारों एवं बौद्धिक अवनति से सम्बन्धित तथ्यों का अध्ययन करने वाली विधि को किस नाम से जाना जाता है – उपचारात्मक विधि
- गिलफोर्ड द्वारा चिन्तन का माना गया है – प्रतीकात्मक व्यवहार
- वैलेन्टाइन ने चिन्तन को स्वीकार किया है – श्रृंखलाबद्ध विचारों के रूप में
- गैरेट के अनुसार चिन्तन है – रहस्यपूर्ण व्यवहार
- गैरेट चिन्तन में प्रतीकों के अन्तर्गत सम्मिलित करता है – बिम्बों को, विचारों को, प्रत्ययों को
- चिन्तन है – संज्ञानात्मक क्रिया
- चिन्तन की आवश्यकता होती है – समस्या समाधान के लिए
- एक बालक कक्षा में अमर्यादित व्यवहार करता है तो शिक्षक को उसकी गतिविधि के आधार पर उसके बारे में करना चाहिए – चिन्तन एवं विचार
- परीक्षा में सही प्रश्न का उत्तर याद करने के लिए छात्रों द्वारा की जाती है – चिन्तन
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य चिन्तन के साधनों से सम्बन्धित है – प्रतिमा, प्रत्यय, प्रतीक
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य चिन्तन के साधनों से सम्बन्धित नहीं है – प्रतीक
- कक्षा में बालक शहीद भगत सिंह की प्रतिमा को देखकर चिन्तन करता है तो वह चिन्तन के किस साधन का प्रयोग करता है – प्रतिमा
- शिक्षक द्वारा क से कलम तथा अ से अनार बताया जाता है तो छात्र कलम एवं अनार के बारे में चिन्तन करता है। शिक्षक द्वारा चिन्तन की प्रक्रिया में चिन्तन के किस साधन का प्रयोग किया गया – प्रत्यय
- + के चिन्ह को देखकर छात्र इसके विभिन्न पक्षों पर चिन्तन प्रारम्भ कर देता है। इसका यह प्रयास चिन्तन के किस साधन का प्रयोग माना जायेगा – प्रतीक एवं चिन्ह
- एक छात्र अपने शिक्षक को देखकर उसके गुण एवं व्यवहार के बारे में चिन्तन करने लगता है, चिन्तन का यह स्वरूप कहलायेगा – प्रत्यक्ष चिन्तन
- एक बालक कक्षा अध्यापक को देखकर कहता है कि सर आ गये बालक के चिन्तन का यह स्वरूप कहलायेगा – प्रत्यक्षात्मक चिन्तन
- किस शिक्षा शास्त्री ने विचारात्मक चिन्तन को ही प्रमुख रूप से स्वीकार किया है – फ्रॉबेल ने
- एक शिक्षक गृहकार्य न करने वाले छात्रों के बारे में पूर्ण चिन्तन करने के बाद उनको गृहकार्य करके लाने में प्रेरित करते हुए इस समस्या का समाधान करता है उसका यह चिन्तन माना जायेगा – विचारात्मक चिन्तन
- विभिन्न प्रकार के शैक्षिक अनुसन्धान एक आविष्कार से सम्बन्धित चिन्तन को सम्मिलित किया जा सकता है – सृजनात्मक चिन्तन
- चित्त की योग्यता निर्भर करती है – बुद्धि पर
- चिन्तन की योग्यता सर्वाधिक पायी जाती है – प्रतिभाशाली बालक में
- जिस बालक में ज्ञान के प्रति रुचि होगी उसका चिन्तन स्तर होगा – सर्वोत्तम
- चिन्तन के विकास हेतु बालक को किस विधि से शिक्षण करना चाहिए – समस्या समाधान विधि
- बालक के समक्ष समस्या प्रस्तुत करने से बालक में विकास होगा – चिन्तन का
- जो छात्र तार्किक दृष्टि से कमजोर होते हैं अर्थात् तर्क का स्तर सामान्य से कम होता है उनका चिन्तन होता है – सामान्य से कम
- निम्नलिखित में किस तथ्य का चिन्तन में महत्वपूर्ण योगदान होता है – रुचि, तर्क, बुद्धि
- गैरेट के अनुसार तर्क का सम्बन्ध होता है – क्रमानुसार चिन्तन से
- बुडवर्थ के अनुसार तर्क है – तथ्य एवं सिद्धान्तों का मिश्रण
- स्किनर के अनुसार तर्क का आशय है – कारण एवं प्रभावों के सम्बन्धों की मानसिक स्वीकृति से
- तर्क द्वारा प्राप्त किया जा सकता है – निश्चित लक्ष्य
- तर्क में किसी घटना के बारे में खोजा जाता है – घटना का कारण
- तर्क में प्रमुख भूमिका होती है – पूर्व ज्ञान की, पूर्व अनुभव की, पूर्व अनुभूतियों की
- तर्क में प्रमुख प्रकार माने जाते हैं – दो
- आगमन तर्क में सर्वप्रथम प्रस्तुत किया जाता है – उदाहरण
- गाय नाशवान है, पक्षी नाशवान है, मनुष्य नाशवान है, अत: यह तर्क दिया जा सकता है कि सभी नाशवान हैं। यह तर्क सम्बन्धित है – आगमन तर्क से, निगमन तर्क से
- निगमन तर्क में पहले प्रस्तुत किया जाता है – नियम
- सभी नाशवान हैं इसलिए तर्क दिया जा सकता है कि सभी नाशवान हैं। इस तर्क वाक्य का सम्बन्ध है – निगमन तर्क से
- शिक्षक को तर्क शक्ति के लिए छात्रों में विकसित करना चाहिए – आत्मविश्वास, क्रियाशीलता, उत्साह
- एक शिक्षक द्वारा बालक के सभी प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है इससे बालक में विकसित होगी – तर्कशक्ति
- शिक्षक द्वारा बालक के प्रश्नों का उत्तर न देने से कुप्रभावित होगा – तार्किक विकास, शैक्षिक विकास, मानसिक विकास
- उपलब्धि परीक्षण का द्वितीय नाम है – निष्पत्ति परीक्षण
- उपलब्धि परीक्षण को एक अभिकल्प के रूप में किस विद्वान ने स्वीकार किया है – फ्रीमैन
- गैरिसन के अनुसार उपलब्धि परीक्षण मापन करता है – वर्तमान योग्यता, विशिष्ट योग्यता
- उपलब्धि परीक्षण का शिक्षा विशेष के बाद प्राप्ति का मूल्यांकन किस विद्वान ने माना है – थार्नडाइक ने तथा हैगन ने
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य बालक के उपलब्धि परीक्षण से सम्बन्धित है – ज्ञान की सीमा का मूल्यांकन, बालकों की योग्यता का मापन, बालक के शैक्षिक विकास का मूल्यांकन
- उपलब्धि परीक्षणों के प्रमुख प्रकार हैं – दो
- प्रमाणित परीक्षणों में समावेश होता है – वैधता, विश्वसनीयता, विश्लेषण
- प्रमाणित परीक्षणों को निर्माण किया जाता है – विशेषज्ञ द्वारा
- प्रमाणित परीक्षणों की एनॉस्टासी के अनुसार प्रमुख विशेषता है – प्रशासन में एकरूपता एवं गणना में एकरूपता
- थार्नडाइक एवं हैग के अनुसार प्रमापीकृत परीक्षणों की विशेषता है – समान निर्देश, समान समयसीमा, समान प्रश्न
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य शिक्षक निर्मित परीक्षण प्रकारों से सम्बन्धित है – आत्मनिष्ठता तथा वस्तुनिष्ठता
- निबंधात्मक एवं मौखिक परीक्षणों को सम्मिलित किया जाता है – आत्मनिष्ठ परीक्षणों द्वारा तथा वस्तुनिष्ठ परीक्षणों द्वारा
- चिन्तन एवं तर्क के विकास हेतु उपयोगी परीक्षण है – निबंधात्मक
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य निबंधात्मक परीक्षण के गुणों से सम्बन्धित है – प्रशासन में सरलता, प्रगति का मूल्यांकन, विचार अभिव्यक्ति में स्वतन्त्रता
- मूल्यांकन करने वाला किस परीक्षण में अपनी विचारधारा से प्रभावित हो जाता है – निबन्धात्मक परीक्षण में
- व्यक्तिनिष्ठता का दोष किस परीक्षण में पाया जाता है – निबन्धात्मक परीक्षण में
- निम्नलिखित तथ्यों में कौन-सा तथ्य निबन्धात्मक परीक्षण के दोषों से सम्बन्धित है – सीमित प्रतिनिधित्व, प्रामाणिकता का अभाव, विश्वसनीयता का अभाव
- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के निर्माण में किन विद्वानों का श्रेय माना जाता है – होरास मैन तथा जे. ए. राइस का
- वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के मूल्यांकन में निहित होती है – वस्तुनिष्ठता
- निम्नलिखित में कौन से प्रश्न वस्तुनिष्ठ प्रश्नों से सम्बन्धित है – बहुविकल्पीय प्रश्न, सत्य/असत्य प्रश्न, रिक्त स्थान पूर्ति
- सरल प्रत्यास्मरण पद सम्बन्धी प्रश्न सम्मिलित किये जाते हैं – वस्तुनिष्ठ परीक्षण में
- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के गुणों के रूप में स्वीकार किया जाता है – वैधता को, विश्वसनीयता को, वस्तुनिष्ठता को
- एक वैध परीक्षण अगुणों का मापन करता है जिसके लिए उसका निर्माण किया है। यह कथन है – कॉलेसनिक का
- किस परीक्षण के माध्यम से विषय वस्तु का व्यापक प्रतिनिधित्व होता है – वस्तुनिष्ठ परीक्षण में तथा निबन्धात्मक परीक्षण में
- शैक्षिक परीक्षणों को प्रयोग प्रमुख रूप से किया जा सकता है – निर्देशन में एवं शैक्षिक परामर्श में
- समावेशित शिक्षा का सम्बन्ध है – विशेष शिक्षा से
- समावेशित शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य किस स्तर के बालकों को शिक्षा की मुख्य धारा से सम्बद्ध करना है – मंद बुद्धि बालकों को, विकलांग बालकों को, वंचित बालकों को
- समावेशी शिक्षा में प्रमुख योगदान किस योजना का है – सर्वशिक्षा अभियान का
- समावेशी शिक्षा में किस प्रकार के बालकों की शैक्षिक आवश्यकता की पूर्ति की जाती है – विशिष्ट बालकों की
- वर्तमान समय में सभी बालकों को शिक्षा की मुख्य धारा से सम्बद्ध करने का श्रेय जाता है – समावेशी शिक्षा को
- समावेशी शिक्षा में बालकों व व्यक्ति भिन्नता जाननेके लिए प्रयोग किया जाता है – बुद्धि परीक्षणों का
- समावेशी शिक्षा के अनुसार विशिष्ट बालकों की शिक्षण अधिगम प्रक्रिया प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक है – प्रथम समूह बनाकर शिक्षण
- समावेशी शिक्षा बालकों को किस प्रकार का शिक्षण प्रदान करती है – बहुस्तरीय शिक्षण, प्रत्यक्ष शिक्षण विधियोंका प्रयोग युक्त शिक्षण
- समावेशी शिक्षा आधारित है – वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर
- यदि कोई बालक धीमी गति से सीखता है तो उसके लिए आवश्यक होगी – समावेशी शिक्षा
- समाज विरोधी प्रवृत्ति निराशावादी बालक के लिए समावेशी शिक्षा के अन्तर्गत प्रमुख रूप से विकसित करनी चाहिए – संवेगात्मक स्थिरता, सामाजिक गुणों का विकास
- बालकों के व्यवहार अध्ययन की शिक्षा मनोविज्ञान में विधियों को कितने भागों में विभाजित किया गया है – पांच भागों में
- अन्तर्दर्शन विधि का स्रोत माना जाता है – दर्शनशास्त्र
- आधुनिककाल में अन्तर्दर्शन के अप्रासंगिक होने के मूल में कारण है – वैज्ञानिकता का अभाव
- अन्तर्दर्शन विधि पूर्णत: स्वीकार की जाती है – आत्मनिष्ठ विधि के रूप में
- आत्मर्दर्शन विधि में प्रयोगकर्ता एवं विषय होते है – एक
- अन्तर्दर्शन निरीक्षण करने की प्रक्रिया है – स्वयं के मन की
- अन्तर्दर्शन विधि में बल दिया जाता है – स्वयं के मन के अध्ययन पर
- बहिर्दर्शन विधि का सम्बन्ध होता है – बालक के व्यवहार से, प्रौढ़ के व्यवहार से, बृद्ध के व्यवहार से
- बहिर्दर्शन विधि में प्रयोग किया जाता है – निरीक्षण का एवं परीक्षण का
- निरीक्षण आंख के द्वारा सम्पन्न की जाने वाली प्रक्रिया है यह कथन है – स्किनर का
- बहिर्दर्शन विधि में व्यवहार का अध्ययन किया जाता है – प्रत्यक्ष रूप से
- बहिर्दर्शन विधि में निहित है – वैज्ञानिकता
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य बहिर्दर्शन विधि के दोषों से सम्बन्धित है – निरीक्षणकर्ता का दृष्टिकोण, शंका उत्पन्न होना, अविश्वसनीयता
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