- आप शिक्षण क्यों करना चाहते हैं –शिक्षण में मुझे रुचि है।
- शिक्षक भर्ती परीक्षा पास करने के बाद आप क्या पसन्द करेंगे –कहीं भी शिक्षण कार्य करना।
- शिक्षक भर्ती परीक्षा पास करने पर आप क्या करेंगे यदि आपको शिक्षक का पद नहीं मिलता हैं –देश के किसी भाग में शिक्षक बनने का प्रयास करेंगे।
- आपने अध्यापक का व्यवसाय क्यों अपनाया –आपको इसमें रुचि है।
- नीचे कुछ व्यवसायों को दिया गया है। यदि इन सबमें एक ही बराबर वेतन हो तो आप किसे पसन्द करेंगे –शिक्षक
- क्या आप ऐसे व्यवसाय में जाना चाहते हैं जिसमें–आपको शान्ति मिले।
- केवल शिक्षक ही देश और समाज में जागृति ला सकते हैं क्योंकि –वही छात्रों को दिशा दिखा सकता है।
- प्रभावी एवं सफल शिक्षण के लिए सर्वाधिक आवश्यक है –व्यावहारिक उदाहरणों द्वारा विषय को स्पष्ट करना।
- विद्यार्थियों को प्रदान किया गया शिक्षण प्रभावी हो सकता है, यदि –बालकों के मानिसक स्तर के अनुरूप शिक्षा दी जाए।
- छात्रों में प्रश्न करने की युक्ति का विकास करने हेतु –उनको प्रश्न पूछने का अभ्यास कराना।
- यदि छात्र पाठ्य वस्तु में रूचि नहीं ले रहे हों तो आप निम्नलिखित में से क्या करना पसन्द करेंगे –अरुचि का कारण जानने का प्रयास करेंगे।
- यदि छात्रा कक्षा में आपसे प्रश्न करते हैं तो आप क्या करेंगे –उनको शिक्षण के बाद प्रश्न करने को कहेंगे।
- एक शिक्षक को अपने छात्रों के नाम जानने चाहिए इससे क्या लाभ होगा –छात्र गलत कार्य करने से डरेंगे। छात्र शिक्षक के अधिक सम्पर्क में आएंगे। छात्र अनुशासित रहेंगे।
- शिक्षण सफल होता है जबकि –विद्यार्थी समस्यात्मक स्थितियों के प्रति प्रतिक्रिया सकारात्मक ढंग से करते हैं।
- शिक्षण एवं सीखना होता है –कक्षा के कमरे में और घर दोनों में
- निम्नलिखित में से कौन-सी शिक्षण विधि आपकी राय में सर्वश्रेष्ठ है –व्याख्यान और नोट्स का सम्मिलित रूप
- अध्यापन कार्य को प्रभावशाली बनाने हेतु अध्यापक को क्या करना चाहिए –पाठ को छात्रों के सहयोग से समझाना चाहिए।
- इससे पहले कि आप एक नए प्रकरण का शिक्षण दें आपको यह पता लगा लेना चाहिए कि –विद्यार्थी उस प्रकरण के सम्बन्ध में कितना जानते हैं।
- सीखना ऐसी प्रक्रिया है जोकि –प्रत्येक स्थान और प्रत्येक समय होती है।
- आप अध्यापक होने के नाते शिक्षण सहायता सामग्री का प्रयोग इसलिए करेंगे क्योंकि –इससे विद्यार्थी अधिक अच्छी तरह सीखेंगे।
- शिक्षा के क्षेत्रमें समय-समय पर कमीशनों की क्यों आवश्यकता होती है – समाज की आवश्यकताओं का बदलते रहना, शिक्षा में परिवर्तन होना, पाठ्यक्रम में नवीनीकरण होना।
- शिक्षण की सबसे उत्तम विधि निम्नलिखित में से कौन-सी है –प्रोजेक्ट विधि
- श्यामपट पर लिखते समय आप क्या सर्वाधिक महत्वपूर्ण समझते हैं –लेखन की स्पष्ट दृश्यता
- एक अचछे शिक्षक को शिक्षण विधियों को ज्ञान आवश्यक होना चाहिए क्योंकि –इससे शिक्षण अधिक प्रभावशाली हो जाता है।
- शिक्षक का प्रमुख कार्य क्या है –छात्र अधिगम को प्रोत्साहित व निर्देशित करना।
- अच्छे शिक्षण को विकसित करना चाहिए –अपने स्वयं के अध्ययन पर निर्भरता।
- करके सीखना उपयोगी है क्योंकि – बच्चे करके अधिक अच्छा समझते हैं।
- कक्षा अध्यापक के लिए आप निम्न में से किस विधि का प्रयोग करेंगे –प्रश्नोत्तर
- पढ़ाते समय चित्र दिखाने में सबसे अधिक महत्वपूर्ण लाभ कौन-सा है –इससे पाठ को समझाने में सहायता मिलती है।
- विद्यार्थियों की रूचि को बनाए रखने के लिए शिक्षकों को क्या करना चाहिए –प्रश्न पूछना
- शिक्षण एक प्रक्रिया की भांति सम्मिलित करता है –विद्यार्थी, शिक्षक एवं पाठ्यक्रम
- शिक्षक के रूप में आपको कक्षा में प्रश्न क्यों पूछने चाहिए –शिक्षण के लिए
- आपकी राय में ‘शिक्षण’ को कैसी प्रक्रिया मानना चाहिए –छात्र केन्द्रित
- मेरे विचार से नैतिक मूल्यों से युक्त व्यक्तियों को ही –शिक्षण व्यवसाय में आना चाहिए।
- अध्यापन व्यवसाय में संलग्न व्यक्ति –जातिवाद से पीडि़त होते है।
- कक्षा में शिक्षण को उन्नत करने के लिए आप –विद्यार्थियों में सामूहिक अन्त:क्रिया को प्रोत्साहित करेंगे।
- विघार्थियों के सीखने सम्बन्धी कठिनाइयों को कम करने के लिए आप क्या अच्छा समझते हैं –कारणों को जानकर दूर करेंगे।
- किसी भी देश की सामाजिक उन्नति निर्भर करती है –अच्छी शैक्षिक व्यवस्था पर
- वर्तमान में राष्ट्र की प्रगति के लिए आवश्यक हे –श्रेष्ठ रूप से प्रशिक्षित अध्यापक का होना।
- वर्तमान में राष्ट्र की प्रगति के लिए आवश्यक है –प्रश्नों की सहायता से शिक्षक पाठ समझाने में छात्रों का सहयोग प्राप्त कर सकता है।
- पढ़ाते समय अध्यापक को प्रश्न पूछने चाहिए क्योंकि –शिक्षा की प्रक्रिया में बालक का स्थान केन्द्रीय है।
- शिक्षक को बाल-प्रकृति का ज्ञान क्यों होना चाहिए –वह अपने छात्रों को भी आशावादी बना सकेगा।
- शिक्षक को आशावादी क्यों होना चाहिए –कभी-कभी शिक्षक कोस्वयं नेतृत्व ग्रहण करके छात्रों को यह बताना पड़ता है कि उन्हें क्या करना है।
- अच्छे शिक्षक के नेतृत्व में गुण होते हैं? कारण बताइए –उसे प्रभावशाली ढंग से पढ़ाने योग्य बनाती है।
- शिक्षक को मनोविज्ञान की जानकारी उसके शिक्षण कार्य में उसकी सहायता कैसे करती है –इसके अभाव में वह अपने छात्रों के मस्तिष्क को प्रखर नहीं बना सकता है।
- शिक्षक को अपने विषय का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए क्योंकि इस प्रकार –वह अपने विचार छात्रों के समक्ष आसानी से रख सकता है।
- योग्य शिक्षक का भाषा पर अधिकार क्यों होना चाहिए –पूर्णतया सहमत
- क्या आप इस कथन से सहमत हैं- ”शिक्षा की किसी भी योजना में शिक्षक का केन्द्रीय स्थान होता है।”–अपना कार्य तत्परता से कर सकता है।
- शिक्षक का अच्छा स्वास्थ्य उसे अपने व्यवसाय में किस प्रकार सहायता करता है – पाठ्यक्रम से शिक्षक को क्या लाभ होता है –शिक्षक को विद्यालय में क्या कार्य करने चाहिए उसका ज्ञान हो जाता है।
- छात्रों में खेल के प्रति रूचि पैदा करने हेतु क्या करेंगे –खेलों के महत्व पर भाषण देंगे, स्वयं उनके साथ खेलेंगे, अच्छे खिलाडि़यों के उदाहरण देंगेा।
- अपने छात्रों को दण्डित करने के लिए आप –ऐसे बालकों को बुलाकर उन्हें समझाएंगे तथा उनके बारे में निर्णय लेंगे।
- आपकी राय में व्यावसायिक निर्देशन का कार्यभार किसके ऊपर होना चाहिए –न विद्यालय के शिक्षकों पर, न प्राचार्य पर, न शिक्षक विभाग पर।
- प्राइवेट शिक्षण केन्द्रों का क्या मुख्य उदे्शय होता है –परीक्षा पास कराना, धन कमाना, विद्यालयों की कमी को पूरा करना।
- एक शिक्षक को वृत्ति सन्तोष उस समय प्राप्त होना चाहिए जबकि –उसके विद्यार्थी,जीवन में सफल है।
- वह शिक्षक अपने विघार्थियों में तनाव उत्पन्न करते हैं जो कि स्वयं –अज्ञानी हैं।
- शरारती छात्रों के साथ शिक्षक का मुख्य उद्देश्य क्या होना चाहिए –विनम्र, किन्तु दृढ़
- आपके विचार से अच्छे शिक्षक का मुख्य उद्देश्य क्या होना चाहिए –जीवन के नये मूल्यों, नये विचारों व परितवर्तनों का स्वागत करना।
- अच्छा शिक्षक वही है –जो सबके साथ प्रेमव सहानुभूति रखता हो।
- आप शिक्षक होने के नाते साथी चुनने की पूरी स्वतन्त्रता पर किसे साथी चुनेंगे –जो अपने बाह्य स्वरूप (कपड़े आदि) पर ध्यान न देता हो।
- शिक्षक होने के कारण विघालय की पत्रिका में किस विषय पर लेख लिखना चाहेंगे –विद्यालय में भाई–चारे की भावना का छात्रों में विकास
- कक्षा मे पढ़ाते समय शिक्षक को ध्यान में रखना होगा कि –श्यामपट कार्य की विषय सामग्री महत्वपूर्ण हो।
- अध्यापक छात्रों में लोकप्रिय हो जाता है, यदि वह –छात्रों के सुख-दुख और शैक्षणिक कार्यों में सहायता करता है।
- आपके विचार में निम्नलिखित में से कौन-सा गुण एक सफल अध्यापक होने के लिए अधिक आवश्यक है –विषय वस्तु का समुचित ज्ञान होना।
- विद्यार्थी, अध्यापक का सर्वाधिक आदर करेंगे यदि –वह अपनेकार्य के प्रति निष्ठावान है।
- आप अध्यापक बनना चाहते है –समाज को आदर्श एवं स्वस्थ्य जीवन प्रदान करने के लिए
- अध्यापक समाज का आदर्श पुरूष माना जाता है, तो उसकी प्रवृत्ति कैसी होगी –त्यागमयी
- शिक्षक बहुधा अपनी कक्षा का सामना नहीं कर पाते, क्योंकि –उनमें आत्म-विश्वास की कमी होती है।
- वह शिक्षक सबसे कुशल समझा जाना चाहिए जो –विद्यार्थियोंमेंपहल करने की क्षमता विकसित कर सके।
- उस शिक्षक को सबसे सफल समझना चाहिए जो कि –विद्यार्थियों को प्रेरित कर सके।
- कक्षा-शिक्षण की व्यवस्था निर्भर करती है –शिक्षककी व्यावसायिक निपुणता पर
- शिक्षक तथी अपने छात्रों को प्रभावित कर सकता है जबकि –वह पढ़ाते समय ‘मनोवैज्ञानिक-शिक्षा‘ के सिद्धान्तों पर चले।
- आपने शिक्षण व्यवसाय इसलिए अपनाया है, क्योंकि इसमें –आपको पढ़ने के बहुत अधिक अवसर मिलते हैं।
- शिक्षकों को –वेश-भूषा आदि बाह्य कारकों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
- कक्षा में आपकी दृष्टि में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है –नवीन शिक्षण विधियां
- विद्यालय में किस वर्ग के लोगों की तस्वीर टांगना पसन्द करेंगे –गांधीजी एवं महात्मा बुद्ध वर्ग की
- किस प्रकार के शिक्षक छात्रों से खुश करते हैं –जो हर बाद खुलकर कहते हों।
- परीक्षा की कापियां जांचते समय शिक्षक को –उनके लिखित पृष्ठों की संख्या पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
- आपके विचार से शिक्षकों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण है –निष्पक्ष निर्णय लेने का
- ऐसे लोगों को शिक्षण में ध्यान नहीं देना चाहिए, जो –हमेशा आदतों, ढंगों और समय के लिए परेशान रहते हैं।
- आजकल समाज शिक्षकों को अच्छी नजर से नहीं देखता है। इसका क्या कारण हो सकताहै –अधिक टयूशन करते हैं, अपना कार्य लगन से नहीं करते हैं, राजनीति में सक्रियभाग लेते हैं।
- शिक्षक का व्यक्तित्व आकर्षक क्यों होना चाहिए –वह छात्रों को अपने व्यक्तित्व से प्रभावित कर सकता है।
- शिक्षक के आत्म-विश्वास का छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ता है –उसमें साहस और कार्य करने की इच्छा –शक्ति जाग्रत होती है।
- शिक्षक को विद्यालय के अन्दर तथा विद्यालय के बाहर आदर्श जीवन बिताना चाहिए, क्योंकि –समाजमें उसकी मान मर्यादा होती है।
- विद्यालय में शिक्षक का प्रमुख कार्य होता है –शिक्षण कार्य आयोजित करना।
- आप निम्नलिखित में से किसे सर्वोत्तम शिक्षक मानेंगे –जो छात्रों में अन्तक्रिया को प्रोत्साहित करता है।
- एक शिक्षक के रूप में आप निम्नलिखित में से किस दायित्व को सर्वाधिक पसन्द करेंगे –बालक की जन्मजात क्षमताओं का विकास करना।
- एक शिक्षक से आशा की जाती है –उसकी आकांक्षाएं सन्तुलित हों।
- छात्र निम्नलिखित में से किस लक्षण के कारण शिक्षक को सर्वाधिक नापसन्द करते हैं –पक्षपातपूर्ण व्यवहार
- एक सफल अध्यापक वह है, जो –विद्यार्थियों के विकास में रुचि लेता है।
- आप किसको अच्छा शिक्षक मानते हैं –कर्तव्यनिष्ठ
- आप किस प्रकार के शिक्षकों के साथ सम्बन्ध नहीं रखना चाहते –जो मिलना-जुलना पसंदन करते हों।
- शिक्षक में कौन-सा गुण सबसे महत्वूपर्ण है –छात्रों की कठिनाइयां दूर करता हो।
- शिक्षण व्यवसाय में महिलाओं की अधिकता क्यों है –ये बच्चों के साथ अधिक धैर्यपूर्वक व्यवहार करती हैं।
- शिक्षक आधुनिक समाज को अधिक लाभ दे सकते हैं, जबकि –विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान दे सकें।
- एक शिक्षक जो अपने कक्षा शिक्षण में स्नायुविक दुर्बलता दर्शाता है, बहुत अधिक सम्भव है कि वह पीडि़त है –विश्वास की कमी से
- मूल्यांकन का क्षेत्र है –सीमित
- मूल्यांकन को मापने की विधि है –परिमाणात्मक विधि व गुणात्मक विधि
- मूल्यांकन प्रत्यय है –विस्तृत
- ”मूल्यांकन एक क्रमिक प्रक्रिया है, जो सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली का एक अभिन्न अंग है और यह शैक्षिक उद्देश्यों से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है।” इस कथन को कहा है –कोठारी आयोग ने
- मूल्यांकन का प्रमुख पक्ष है –ज्ञानात्मक
- ”पाठ्यक्रम कलाकार (शिक्षक) के हाथ में एक साधन है जिससे वह अपने पदार्थ (शिक्षार्थी) को अपने आदर्श (उद्देश्य) के अनुसार अपने कलाकक्ष (विद्यालय) में ढाल सके।” यह कथन है –कर्निंघम का
- ‘Curriculum’ की उत्पत्ति लैटिन भाषा के किस शब्द से हुई है –Currere
- पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्त हैं –विकासकी सतत क्रिया का, संरक्षण का, भविष्य चेतना का एवं खेल व क्रिया का सिद्धान्त, सृजनात्मकता का एवं प्रजातन्त्र भावना के विकास की स्थिति का सिद्धान्त
- पाठ्यक्रम संरचना के आधार में नहीं आता –राजनीतिक
- निम्न में से कौन-सा बिन्दु पाठ्यक्रम के सन्दर्भ में सत्य नहीं है –इससे किसी विषय की सम्पूर्ण पढ़ाई नहीं हो पाती है।
- निम्नलिखित में से कौन-सी पाठ्यक्रम सम्बन्धी क्रिया नहीं है – छात्र परिषद्
- पाठ्यक्रम निर्माण का सिद्धान्त नहीं है –सामाजिक गुणवत्ता का
- ”पाठ्यक्रम का अर्थकेवल शास्त्रीय विषय से नहीं है जिनको विद्यालय में परम्परागत ढंग से पढ़ाया जाता है बल्कि इसमें अनुभवों की सम्पूर्णता निहित है जिनका बालक बहुतप्रकार की क्रियाओं द्वारा प्राप्त करता है।” यह कथन किस आयोग का है –माध्यमिक शिक्षा आयोग
- पाठ्यक्रम में निहित दोष है –पाठ्यसस्तु में अधिक तथ्य भरे हैं, ये वैयक्तिक भिन्नताओंसे मेल नहीं खाते, ये पुस्तकीय ज्ञान पर बल देते हैं।
- क्यूररे (Currere) का अर्थ है –दौड़ का मैदान
- क्रिया-केन्द्रित पाठ्यक्रम की विचारधारा के पोषक थे –डीवी
- राष्ट्रीय नीति के अन्तर्गत पाठ्यक्रम –बालक केन्द्रित होना चाहिए।
- पाठ्यक्रम सम्बन्धी क्रिया नहीं है –वाद-विवाद व भाषण
- पाठ्यक्रम के प्रकार हैं –बाल केन्द्रित एवं विषय केन्द्रित, अनुभव केन्द्रित एवं कोर पाठ्यक्रम, शिल्कला केन्द्रित, कार्य केन्द्रित तथा सुसम्बद्ध या सम्बन्धित पाठ्यक्रम
- विषय-केन्द्रित पाठ्यक्रम है –विषय को आधार बनाया जाता है।
- क्रियाप्रधान पाठ्यक्रम में –बालकों की क्रियाओं एवं अनुभवों पर बल दिया जाता है।
- प्राथमिक स्तर पर पाठ्यक्रम होना चाहिए – गतिविधि आधारित
- पाठ्यक्रम में दार्शनिक आधार से आशय है – पाठ्यक्रम में दार्शनिक विचारों का समावेश
- प्राथमिक स्तर पर बालकों में सत्य, अहिंसा एवं शाश्वत मूल्यों से सम्बन्धित पाठ्य-वस्तु प्रदर्शित करती है – पाठ्यक्रम के दार्शनिक आधार को
- पाठ्यक्रम के मनोवैज्ञानिक आधार का आशय है – छात्रों के स्तर एवं रुचि के पाठ्क्रम से
- वर्तमान में प्राथमिक स्तर पर खेल एवं गतिविधियों का प्रयोग प्रदर्शित करता है – मनोवैज्ञानिक पाठ्यक्रम की अवधारणा को
- प्राथमिक स्तर पर हमारे पूर्वजों के परिचय एवं उनके कार्यों के बारे में पाठ्यक्रम में समावेश का होना संकेत करता है – ऐतिहासिक आधार को
- विभिन्न प्रकार की कविता, संगीत एवं गीतों का समावेश पाठ्यक्रम के आधार को प्रदर्शित करता है – सांस्कृतिक आधार को
- पाठ्यक्रम के सांस्कृतिक आधार का आशय है – पाठ्यक्रम में सांस्कृतिक तथ्यों का समावेश, स्थानीय गीत-संगीत एवं कविताओं का समावेश
- पाठ्यक्रम में वैज्ञानिक आधार का आशय है – पाठ्यक्रम में वैज्ञानिक गतिविधियों का समावेश, वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करने वाली गितिविधि
- सामूहिक आधार पर सम्पन्न होने वाली क्रियाओं का पाठ्यक्रम में समावेश प्रदर्शित करता है – सामाजिक आधार को
- पाठ्यक्रम के प्रभावी एवं समग्र रूप को विकसित करने के लिए आवश्यक है – दार्शनिक आधार, सामाजिक आधार, सांस्कृतिक आधार
- निम्नलिखित में कौन-सा पाठ्यक्रम प्रमुख रूप से मनोवैज्ञानिक आधार पर निर्मित होता है – बाल केन्द्रित पाठ्यक्रम
- पाठ्यक्रम निर्माण के समक्ष ध्यान दिया जाता है – सामाजिक आकांक्षाओं का, बालकों की रुचित एवं स्तर का
- कोर पाठ्यक्रम का प्रमुख सम्बन्ध होता है – सामाजिक दृष्टिकोण से
- 6 से 14 वर्ष के बालकों के लिए नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का कानून लागू हुआ – 1 अप्रैल, 2010 से
- विद्यालयों में गरीब बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार कानून के अन्तर्गत कितने प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी – 25 प्रतिशत
- शिक्षा के अधिकार कानून में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों के लिए आरक्षण किस प्रकार के विद्यालयों में होगा – व्यक्तिगत विद्यालयों में, सरकारी विद्यालयों में
- शिक्षा के अधिकार अधिनियम जोड़ा गया है – मौलिक अधिकारों में
- शिक्षा के अधिकार अधिनियम के लिए जोड़ा गया अनुच्छेद है – 21 A
- शिक्षण अधिकार अधिनियम के अनुसार, बालकों को स्कूल उपलब्ध कराने की दूरी होगी – 1 किमी
- शिक्षक अधिकार अधिनियम के अनुसार, सत्र प्रारम्भ होने के किस माह बाद तक विद्यालय में प्रवेश दिया जा सकेगा – 6 माह
- शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार, 6 वर्ष छोटे बालकों के लिए व्यवस्था होगी – प्री स्कूलिंग
- शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 निजी स्कूलों को प्रतिबन्धित किया गया है – कैपीटेशन फीस के लिए, स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए
- शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 के अनुसार, विशेष शिक्षक की नियुक्ति विद्यालयों में होगी – विकालांग बालकों के लिए, मन्द्र बुद्धि बालकों के लिए
- विद्यालयों में कार्य करने वाले शिक्षकों की प्रशिक्षण स्थिति होगी – केवल प्रशिक्षित शिक्षक
- शत-प्रतिशत नामांकन के लक्ष्य को प्राप्त करने की समय सीमा होगी – तीन वर्ष
- शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 में प्रावधानों की संख्या है – नौ
- बाल अधिकारों का प्रमुख उद्देश्य है – बालकों का सर्वागीण विकास, बालकों को सम्भावित खतरों से बचाना, बालकों को सभी को शैक्षिक एवं अशैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति
- बाल अधिकारों को उपलब्ध कराने का उत्तरदायित्व होगा – सरकार का
- बालकों के साथ किसी जाति-धर्म एवं लिंग के आधार पर भेदभाव न करने का प्रावधान किस अनुच्छेद के अनुसार है – दो
- बालकों को यह जानने का अधिकार किस अनुच्छेद के अन्तर्गत है कि अनकी उि देखभाल अभिभावकों के द्वारा की जा रही है या नहीं – सात
- शरणार्थी को देश में जन्में बालक के समान अधिकार किस अनुच्छेद में प्रदान किया गया है – 22
- बाल अधिकार के अनुच्छेद 24 के अन्तर्गत बालकों को अधिकार है – स्वास्थ्य का
- विकलांग बालकोंको विशेष सहयोग एवं देखभाल का अधिकार बाल अधिकार के अनुच्छेद के अनुसार है – 23
- प्राथमिक शिक्षा को नि:शुल्क रूप से प्राप्त करने का अधिकार बाल अधिकारके किस अनुच्छेद से सम्बन्धित है – 28
- बाल अधिकार का अनुच्छेद 19 बालकों को अधिकार प्रदान करता है – उपेक्षा से, हिंसा से, दुर्व्यवहार से सुरक्षा का
- बालकों को खतरनाक कार्यों से मुक्त रखने की व्यवस्था बाल अधिकार के किस अनुच्छेद में प्रदत्त की गई है – 32
- बालकों के अपहरण एवं क्रय-विक्रय को रोकने का दायित्व होगा – सरकार का
- सहभागिता एवं सक्रिया अभिव्यक्ति का अधिकार बाल अधिकार के किन अनुच्छेदों में समाहित है – 13, 14, 15, 16, 17
- सुरक्षा का अधिकार बाल अधिकार के किन अनुच्छेदों में समाहित है – 19, 32, 35, 36, 11, 37
- स्टर्ट एवं ओकडन के अनुसार, स्मृति एक प्रक्रिया है – शारीरिक एवं मानसिक
- प्रतिमा या छाप का निर्माण होता है – ज्ञान केन्द्र में
- अनुभव का स्मृति चिन्ह कहते हैं – प्रतिमा को, छाप को
- प्रारंभिक अनुभव मानव मस्तिष्क में एकत्रित होते हैं – चेतन मस्तिष्क में
- अनुभव प्राचीन या पुराने होने पर चले जाते हैं – अचेतन मन में
- स्मृति का आशय है – सचेतन मन के अनुभवों को चेतन मन में लाने की प्रक्रिया
- जेम्स के अनुासर, स्मृति है – पूर्व घटना या तथ्य का ज्ञान
- मैक्डूगल के अनुसार, स्मृति का आशय है – अतीत की घटनाओं की कल्पना करना।
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य स्मृति से सम्बन्धित है– आदर्श पुनरावृत्ति, अतीत की घटनाओं की कल्पना, अतीत के अनुभवों को चेतना में लाना।
- वुडवर्थ के अनुसार, स्मृति के अंग होते हैं – चार
- ”किसी तथ्य को अच्छी तरह सीख लेना स्मृति की आधी लड़ाई जीत लेना है” यह कथन है – गिलफोर्ड का
- अच्छी स्मृति के लिए आवश्यक है – उच्च अधिगम, उच्च धारण शक्ति, पुन:स्मरण
- उच्च धारण शक्ति से आशय है – अचेतन मन में तथ्यों का संग्रहण
- अधिकांशत: व्यक्तियों की धारण शक्ति में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। यह कथन है – रायबर्न को
- स्टाउट के अनुसार, उत्तम स्मृति के लिए आवश्यक है – उत्तम धारण शक्ति
- सामान्य रूप से अच्छी स्मृति पायी जाती है – प्रतिभाशाली बालकों में
- स्टाउट के अनुसार, उच्च स्मृति की विशेषता है – उपयोगी तथ्यों की स्मृति, अनुपयोगी तथ्यों की विस्मृति, उच्च धारण शक्ति
- जब एक अनुभव दूसरे अनुभव से सम्बन्धित होता है। यह स्मृति के किस नियम से जाना जाता है – साहचर्य का नियम
- सत्याग्रह एवं सविनय अवज्ञा आन्दोलन के बारे में बालक से महात्मा गांधी के पूर्ण जीवन चरित्र का स्मरण होना स्मृति के किस नियम को प्रकट करता है – सम्बन्धों का नियम
- आदत का नियम सम्बन्धित है – अभ्यास से
- बालक जो पहाड़े प्राथमिक स्तर पर सीखता है। वह उसको जीवन पर स्मृति के किस नियम के आधार पर याद रहते हैं – आदत या अभ्यास का नियम
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य स्मृति से सम्बन्धित है – इन्द्रिय अनुभव, सक्रिय स्मृति, तर्क
- विस्मृति एक अवधारणा है – सकारात्मक व नकारात्मक
- अधिक विस्मृति की स्थिति में बालक का व्यवहार हो जाता है – असामान्य
- विस्मृति का आशय है – अचेतन मन के अनुभव, किसी तथ्य को भूल जाना।
- फ्रायड के अनुसार, विस्मृति का आशय है – भूल जाना, दु:खद अनुभवों को स्मृति से अलग कर देना।
- मन के अनुसार, विस्मृति है – पुन: स्मरण की असफलता
- ड्रेवर के अनुसार, विस्मृति का अर्थ है – पूर्व अनुभव का स्मरण करने पर असफलता
- विस्मृति के प्रमुख प्रकार है – दो
- जब व्यक्ति द्वारा किसी दु:खद घटना को भूलने का प्रयास किया जाता है – सक्रिय विस्मृति
- निष्क्रिय विस्मृति का आशय है – प्रयास न करने पर तथ्यों को भूल जाना
- प्राथमिक स्तर पर छात्र पहाड़े एवं गिनती याद करते हुए भी भूल जाते हैं। इस प्रकार की स्मृति कहलाती है – निष्क्रिय विस्मृति
- विस्मृति के कारणों को विभक्त किया जा सकता है – सामान्य कारणों के रूप में, सैद्धिान्तिक कारणों के रूप में
- विस्मृति के सैद्धान्तिक कारणों में सम्मिलित किया जा सकता है – दमन
- विस्मृति के सामान्य कारणों में सम्मिलित किया जा सकता है – रुचि का अभाव
- जब छात्र एक पाठ को याद करने के बाद दूसरा पाठ याद करता है तो उस पाठ का विस्मृति की सम्भावना अधिक हो जाती है। यह विस्मृति के किस सिद्धान्त से सम्बन्धी है – बाधा सिद्धान्त से
- विस्मृति को अभ्यास के अभाव का कारण किस विद्वान ने माना है – थार्नडाइक व एबिंगहार ने
- एक बालक अपने पिता की मृत्यु को याद करना नहीं चाहता है तो विस्मृति के किस सिद्धान्त का अनुकरण करता है – दमन सिद्धान्त
- विस्मृति का प्रमुख कारण है – संवेगात्मक अस्थिरता, मानसिक आघात, मन्द बुद्धि होना
- समय के प्रभाव को विस्मृति का कारण किस विद्वान ने स्वीकार किया है – हैरिस ने
- निरर्थक विषयों की तुलना में सार्थक विषयों की विस्मृति धीरे-धीरे होती है। यह कथन है – मर्सेल का
- विस्मृति कम करने का उपाय है – अभ्यास का
- विस्मृति की स्थिति को कम करता है – सस्वर वाचन
- विस्मृति को कम करने के लिए आवश्यक है – अवधान, स्मरण के नियम, पाठ की पुनरावृत्ति
- विस्मृति का सम्बन्ध होता है – अचेतन मन से
- थकान की सर्वोत्तम परिभाषा है – कार्यकुशलता में कमी
- थकान के सामान्य लक्षण है – कार्य करने की इच्छा का अभाव, शरीर में शिथिलता, कार्य क्षमता में लगातार कमी
- थकानके प्रमुख प्रकार होते हैं – दो
- शरीर का शिथिल होना सूचना देता है – शारीरिक थकान का
- निम्नलिखित में कौन-सा लक्षण शारीरिक थकान से सम्बन्धित है – कन्धा झुकाकर बैठना या खड़े होना, कार्य के प्रति उदासीनता, उपकरणों का हाथ से छूटना
- मानसिक एवं शारीरिक थकानमें सम्बन्ध पाया जाता है – घनिष्ठ
- मानसिक कार्य अधिक करने पर बालक में उत्पन्न होती है – शारीरिक थकान, मानसिक थकान
- निम्नलिखित में कौन-सा लक्षण मानसिक थकान से सम्बन्धित है – अवधान केन्द्रीकरण का अभाव, रुचि का अभाव, स्वाभाव में चिड़चिड़ापन होना
- थकान के उत्पन्न होने पर बालक अधिगम स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है – अधिगम स्तर कम हो जाता है।
- मानसिक थकान दूर करने के लिए विद्यालय में व्यवस्था होनी चाहिए – बाल सभा का, खेलों का
- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाने में छात्र की स्थिति होनी चाहिए – थाकान रहित
- विद्यालय में थकान दूर करने का सर्वोत्तम साधन है – पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाएं
- क्रो एण्ड क्रो के अनुसार, निर्देशन है – एक प्रकार की सहायता
- निर्देशन की प्रक्रिया को ऐमरी स्ट्रप्स ने माना है – व्यक्तिगत हित की प्रक्रिया, सामाजिक हित की प्रक्रिया
- आर्थर जे. जोन्स के अनुसार, निर्देशन एक प्रक्रिया है – बुद्धिमत्तापूर्वक चुनाव में सहायता की, उचित सम्प्रेषण की, साक्षात्कार की
- स्किनर के अनुसार, निर्देशन सहायता करता है – समायोजन में, सीखने में
- चाइसोम के अनुसार, निर्देशन का उद्देश्य है – निहित शक्तियों का विकास का, सामंजस्यपूर्ण जीवन की समस्याओं का हल का
- निर्देशन का अन्तिम उद्देश्य आत्म निर्देशन है। इस तथ्य को स्वीकार किया है – थॅमस एम.रिस्क ने
- स्किनर के अनुसार,निर्देशन का उद्देश्य है – क्षमताओं के अनुसार चुनाव, रुचियों के अनुसार चुनाव, अवसरों के अनुसार चुनाव
- कुप्पूस्वामी के अनुसार, निर्देशन की आवश्यकता रही है – वर्तमान, प्राचीन समय में, मध्यकाल में
- व्यक्तिगत दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता में सम्मिलित किया जा सकता है – बालकों को, युवाओं को, वृद्धों को
- शैक्षिक निर्देशन की आवश्यकता होती है – छात्रों व छात्राओं को
- समाज में सम्मान एवं प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए प्रमुख रूप से आवश्यकता होती है – व्यक्तिगत निर्देशन की
- सद्भावना, प्रेम एवं समझ विकसित करने के लिए आवश्यकता होती है – सामाजिक निर्देशन की
- नैतिकता, आध्यात्मिकता एवं आदर्शवादी मूल्यों के विकास के लिए आवश्यकता होती है – व्यक्तिगत निर्देशन की
- अपव्यय एवं अवरोधन की समस्या समाधान हेतु आवश्यक है – शैक्षिक निर्देशन
- शत-प्रतिशत नामांकन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है – शैक्षिक निर्देशन
- वर्तमान समय में शैक्षिक निर्देशन की आवश्यकता है – पाठ्यक्रम विवधता के कारण, व्यावसायीकरण के कारण
- शिक्षक ही तरुण व्यक्तियों को प्रेरित और निर्देशित कर सकता है। यह कथन है – लाल बहादुर शास्त्री का
- अनुशासनहीनता की समस्या का समाधान किया जा सकता है – व्यक्तिगत व शैक्षिक निर्देशन द्वारा
- वर्तमान समय में सामाजिक निर्देशन की आवश्यकता है – सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक मूल्यों के कारण
- शिक्षा आयोग के अनुसार, निर्देशन है – शैक्षिक अवसरों के चुनावों में सहायता, व्यावसायिक अवसरों में सहायता
- निर्देशन की सहायता से व्यक्ति का स्परूप हो सकता है – समाजोपयोगी, राष्ट्रोपयोगी
- वर्तमान सामाजिक परिवर्तन के अतिरिक्त किन परिवर्तनों के कारण सामाजिक निर्देशन की आवश्यकता अनुभव की जाती है – नैतिक एवं धार्मिक मूल्यों में परिवर्तन के कारण
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास के कारण किस प्रकार के निर्देशन की आवश्यकता होती है – शैक्षिक निर्देशन की
- समाज में अन्धविश्वास एवं रूढि़वादिता को दूर करने के लिए प्रमुख रूप से आवश्यकता होती है – शैक्षिक निर्देशन की
- श्रेष्ठ समायोजन के लिए आवश्यकता होती है – मनोवैज्ञानिक निर्देशन की
- मनोवैज्ञानिक निर्देशन से आशय है – मनोदशा का निर्माण करना
- अपराधी बालकों को निर्देशन प्रदान करने में आवश्यकता होती है – मनोवैज्ञानिक निर्देशन की
- एक बालक सामान्य बालकों की तुलना में कम सीख पाता है तो उसके लिए आवश्यकता होगी – शैक्षिक निर्देशन की
- स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देशन का प्रमुख उद्देश्य होता है – छात्रों को स्वस्थ्य जीवन प्रदान करना, स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों का ज्ञान, सन्तुलित भोजन की जानकारी
- निर्देशन की आवश्यकता होती है – माध्यमिक स्तर पर
- निर्देशन प्रदान करने की प्रमुख विधियां है – व्यक्तिगत एवं सामूहिक विधियां
- एक छात्र निर्देशनकर्ता से विभिन्न प्रकार के व्यवसायों के चुनाव में जानकारी प्राप्त करता है तो निर्देशनकर्ता द्वारा प्रयोग किया जाएगा – व्यक्तिगत निर्देशन
- सिनेमा या चित्रपट के माध्यम से या दूरदर्शन के माध्यम से सूचनाप्रदान करने की विधि को माना जाएगा – सामूहिक निर्देशन विधि
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य सामूहिक निर्देशन की विधियों से सम्बन्धित है – अनुवर्ती कार्यक्रम
- निर्देशन प्रक्रिया का क्षेत्र होता है – व्यापक
- बेवस्टर शब्दकोश के अनुसार, परामर्श है – पूछताछ, पारस्परिक तर्क-वितर्क
- बरनॉर्ड एवं फुलमर के अनुसार, परामर्श है – व्यक्ति को समझना, व्यक्ति के साथ कार्य करना।
- परामर्श को निर्देशन की एक विधि के रूप में जाना जाता है। इस कथन को स्वीकार किया है – जोन्स ने
- रॉबिन्सन के अनुसार, परामर्श है – दो व्यक्तियों का सम्पर्क
- ”परामर्श दो व्यक्तियों का सम्पर्क है जिसमें एक को किसी प्रकार की सहायता दी जाती है।” यह कथन है – मायर्स का
- रूथ स्ट्रैंग के अनुार, परामर्श का उद्देश्य है – आत्म परिचय, आत्म बोध
- डन्समूर के अनुसार, परामर्श का उद्देश्य है – छात्रों में समस्या का समाधान की योग्यता प्रदान करना।
- रॉबर्ट्स के अनुसार, परामर्श का उद्देश्य है – शैक्षिक समस्याओं के समाधान में सहायता करना, व्यावसायिक समस्याओं के समाधान में सहायता करना, व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान में सहायता करना।
- रोलां के अनुसार, परामर्श का उद्देश्य है – छात्रों में हीन भावना के विकास को रोकना।
- हार्डी के अनुसार, परामर्श का उद्देश्य है – स्व-विकास के लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता करना।
- कुप्पूस्वामी के अनुसार, परामर्श के सिद्धान्तों का विभाजन होता है – चार प्रकार से
- परामर्श अवधि होनी चाहिए – 30 से 40 मिनट
- समायोजन सम्बन्धी परामर्श को जाना जाता है – नैदानिक परामर्श के नाम से
- मनोवैज्ञानिक परामर्श में निहित होता है – संवेगात्मक स्थिरता व मनोवैज्ञानिक विधियों का प्रयोग
- निम्नलिखित में कौन सा तथ्य धार्मिक परामर्श से सम्बन्धित है – नैतिक विकास, आदर्शों का विकास, आध्यात्मिक विकास
- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया से सम्बन्धित परामर्श को माना जाता है – शैक्षिक परामर्श
- किसी व्यवसाय से सम्बन्धित परामर्श को माना जाता है – व्यावसायिक निर्देशन व व्यावसायिक परामर्श
- परामर्श को व्यक्तिगत रूप में स्वीकार करने वाले तथा सामूहिक रूप में अस्वीकार करने वाले विद्वान का नाम है – रेन
- परामर्श पारस्परिक रूप से सीखने की प्रक्रिया है। यह कथन है – बिली का एवं एण्ड्रू का
- ब्रीवर के अनुसार, परामर्श है – विचार-विमर्श व मित्रतापूर्ण वाद-विवाद
- निर्देशात्मक परामर्श होता है – परामर्शदाता केन्द्रित
- अनिर्देशात्मक परामर्श होता है – परामर्श प्रार्थी केन्द्रित
- रोजर्स के अनुसार, पूर्ण मनोवैज्ञानिक परामर्श है – अनिर्देशात्मक
- स्वतन्त्र वातावरण का अभाव किस प्रकार के परापर्श में होता है – निर्देशात्मक परामर्श में
- अनिर्देशात्मक परामर्श में महत्व प्रदान किया जाता है – अधिगम में
- निर्देशात्मक परामर्श में महत्व प्रदान किया जाता है – व्यक्ति को
- विश्लेषण की प्रक्रिया को महत्व प्रदान किया जाता है – निर्देशात्मक परामर्श में
- परामर्शदाता अधिक सक्रिय रहता है – निर्देशात्मक परामर्श में
- परामर्श प्रार्थी को क्रियाशील रखने के लिए आवश्यक होता है – अनिर्देशात्मक परामर्श में
- अनिर्देशात्मक परामर्श को पूर्व नियोजित क्रिया किस विद्वान द्वारा समझा जाता है – जेम्स एम. ली. द्वारा
- डम्बाइल के अनुसार, अवधान का आशय है – किसी एक वस्तु पर अन्य वस्तुओं की अपेक्षा अधिक चेतना केन्द्रित करना।
- मैक्डूगल के अनुसार, ध्यान है – ज्ञान प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली इच्छा, ज्ञान प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला प्रयास
- मन के अनुसार, अवधान है – मानसिक क्रिया
- वैलेन्टाइल के अनुसार, अवधान है – पूर्ण मानसिक क्रिया
- स्टाउट के अनुसार, पूर्ण ज्ञान का सम्बन्ध है – पूर्व ज्ञान से
- कक्षा शिक्षण में बालक की मुख मुद्रा से पता लगाया जा सकता है – अवधान की दशा का
- अवधान की प्रक्रिया में बालक को करना पड़ता है – शारीरिक प्रयास व मानसिक प्रयास
- अवधान के मूल में समाहित होता है – प्रयोजन, रुचि, उपयोगिता
- कक्षा शिक्षण में बालक की मुख मुद्रा से पता लगाया जा सकता है – अवधान की दशा का
- अवधान की प्रक्रिया में बालक को करना पड़ता है – शारीरिक प्रयास व मानसिक प्रयास
- अवधान के मूल में समाहित होता है – प्रयोजन, रुचि, उपयोगिता
- अवधान के लिए आवश्यक एवं प्रमुख शर्त है – मानसिक सक्रियता
- वुडवर्थ के लिए अवधान केन्द्रित करने के लिए प्रमुख आवश्यकता है – तत्परता
- अवधान की प्रक्रिया में बालक तथ्यों के साथ किस क्रिया को करता है – संश्लेषण एवं विश्लेषण
- सामान्य रूप से व्यक्ति अवधान केन्द्रित कर सकता है – एक वस्तु पर
- निम्नलिखित में कौन-सा गुण अवधान से सम्बन्धित है – अस्थिरता
- एक बालक कहानियों की किताबों पर पूर्ण ध्यान केन्द्रित करता है। उसका यह अवधान माना जाएगा – ऐच्छिक अवधान
- परीक्षा के समय में व्यस्त छात्र का ध्यान पड़ोस में बजने वाले टेपरिकार्डर की ओर चला जाता है। उसका यह अवधान माना जाएगा – अनैच्छिक अवधान
- विद्यार्थी गणित विषय में इसलिए अवधान केन्द्रित करने का प्रयास कर रहा है कि यह उसके माता-पिता की इच्छा है। उसका यह अवधान माना जाएगा – अनभिप्रेरित अवधान
- एक बालक अपने मित्र को क्रिकेटर बनते हुए देखकर क्रिकेट के प्रत्येक कार्यक्रम को ध्यानपूर्वक देखता है तथा उस पर अवधान केन्द्रित करता है। उसका यह अवधान माना जाएगा – अर्जित अवधान
- मन्दिर में भगवान राम-सीता की विशालमूर्ति को देखकर एक व्यक्ति द्वारा उसका संश्लेषण एवं विश्लेषण किया जाता है। उसका यह अवधान माना जाएगा – मूर्त अवधान
- एक शिक्षक नैतिक मूल्यों पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए बालक से कहता है? बालक द्वारा अपना ध्यान दया, परोपकार एवं धर्म आदि पर केन्द्रित किया जाता है। उसका यह अवधान होगा – अमूर्त अवधान
- ऐच्छिक अवधान का प्रमुख तत्व है – व्यक्तिगत सुख एवं व्यक्तिगत उपयोगिता
- अन अभिप्रेरित अवधान में अधिगमकर्ता को करना पड़ता है – स्व-इच्छाओं का दमन
- अर्जित अवधान में अधिगमकर्ता में करना पड़ता है – इच्छा एवं रुचि
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य ऐच्छिक अवधान से सम्बन्धित है – उद्दीपन पर केन्द्रीकरण, अवधान की सक्रियता, आयु के साथ विकास
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य अनैच्छिक अवधान से सम्बन्धित है – बिना इच्छा के ध्यान केन्द्रीकरण, आयु का प्रभाव न होना, प्रयास न करना।
- अवधान की दशाओं का विभाजन प्रमुख रूप से किया जा सकता है – दो भागों में
- निम्नलिखित में अवधान से सम्बन्धित तथ्य है – आवश्यकता
- ”रुचि से किया हुआ ध्यान और धयान करना ही रुचि है।” यह कथन है – मैक्डूगल का
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य अवधान की आन्तरिक दशाओं से सम्बन्धित है – समझ, रुचि, आवश्यकता
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य अवधान की बाह्य दशाओं से सम्बन्धित है – उद्दीपक की प्रकृति एवं उद्देश्य
- थार्नडाइक एवं हरबर्ट के अनुसार, अवधानको जाग्रत करने के लिए आवश्यक है – पूर्व ज्ञान को जाग्रत करना।
- निम्नलिखित में से कौन-सा तथ्य अवधान को प्रभावित करता है – नवीनता, विषमता, उद्दीपक तीव्रता
- निम्नलिखित में कौन-सा उद्दीपक अवधान को सम्भव बनाता है – तीव्र आवात, तीव्र रंग, तीव्र गंध
- अवधान विक्षेप का कारण है – थकान, प्रेरणा का अभाव, भौतिक पर्यावरण
- कक्षाशिक्षण में शोरयुक्त वातावरण का परिणाम होता है – अवधान विक्षेप, निम्न अधिगम
- शिक्षक द्वारा प्राथमिक स्तर पर व्याख्यान विधि का प्रयोग अवधान में उत्पन्न करेगा – बाधा
- कक्षा शिक्षण में अवधान केन्द्रित करने के लिए शिक्षक को करना चाहिए – शिक्षण अधिगम सामग्री का प्रयोग, उचित शिक्षण विधियों का प्रयोग
- बालकों का अवधान सदैव किस प्रकार की शिक्षण अधिगम में केन्द्रित होता है – रुचिपूर्ण तथा बाल केन्द्रित
- पुरस्कार के माध्यम से बालकों को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में अवधान केन्द्रित करने के लिए प्रेरित करना माना जाता है – सकारात्मक साधन
- अवधान रुचि सम्बन्धित है – घनिष्ठ रूप से
- कक्षाशिक्षण में अवधान केन्द्रित में शिक्षक की भूमिका होनी चाहिए – सहयोगी की तरह
- कक्षा शिक्षण में अवधान के लिए आवश्यक है – उचित शिक्षण विधियां, कक्षा का उचित वातावरण, प्रभावशाली शिक्षण अधिगम प्रक्रिया
- रुचि शब्द की उत्पत्ति किस भाषा के शब्द से हुई है – लैटिन
- INTERESSE शब्द किस भाषा का शब्द है – लैटिन
- INTERESSE शब्द का अर्थ है – अन्तर स्थापित करना तथा लगाव होना
- बी. एन. झा. के अनुसार, रुचि है – मानसिक विधि, ध्यान क्रिया को सतत् बनाने वाली
- क्रो एण्ड क्रो के अनुसार, रुचि है – अनुप्रेरक शक्ति
- रुचि होती है – जन्मजात व अर्जित
- रुचियां होती है – परिवर्तनशील तथा अपरिवर्तनशील
- रुचियों का विकास होता है – व्यक्तित्व पर्यावरण की अन्त:क्रिया के कारण
- रुचियां प्रभावित होती है – सामाजिक स्थिति से तथा आर्थिक स्थिति से
- रुचियों के निर्धारण में प्रमुख रूप से भूमिका होती है – प्रेरकों की
- रुचियां पर प्रमुख रूप से प्रभाव होता है – लिंग का, सामाजिक स्थिति का, आर्थिक स्थिति का
- मां अपनी सन्तान के प्रति रुचि रखती है। इस रुचि को माना जाएगा – जन्मजात
- कला, विज्ञान एवं राजनीति में रुचि को माना जाता है – अर्जित
- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में छात्रों की रुचि विभाजिक करने के लिए शिक्षकों को ध्यान देना चाहिए – छात्र की मनोदशा, छात्र का स्वास्थ्य, छात्र की आवश्यकताएं
- छात्रों की प्रकरण में रुचि विकसित करने के लिए शिक्षक द्वारा स्पष्ट करना चाहिए – प्रकरण का उद्देश्य, उपयोगिता, भविष्य में आवश्यकताएं
- एक बालक का जन्म गरीब परिवार में होने के कारण शिक्षा के प्रति उसकी रुचि विकसित न होने का कारण होगा – अभिभावक की आर्थिक दशा, अभिभावक की अशिक्षा
- बालक की किसी विषय या क्रिया में रुचि होने के लिए आवश्यक होता है – आनन्द
- विद्यालय में रुचिपूर्ण वातावरण उत्पन्न करने में बाधा उपस्थित करते हैं – कठोर अनुशासन
- अभिभावकों का आक्रामक व्यवहार बालक की रुचि पर प्रभाव डालता है – रुचि को निम्न करना, विपरीत प्रभाव डालना।
- रुचियों का विकास होता है – जीवन पर्यन्त
- रुचि तालिका का निर्माण कार्य किस संस्था ने प्रारम्भ किया – कारनेज इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने
- रुचि तालिका निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई – सन् 1919 में
- स्ट्रांग की व्यावसायिक रुचि परिसूची में पदों की संख्या है – 420
- स्ट्रांग की व्यावसायिक रुचि परिसूची में प्रतिरूपों की संख्या है – चार
- स्ट्रांग की व्यावसायिक रुचि परिसूची में A प्रतिरूप है – पुरुषों के लिए
- स्ट्रांग की व्यावसायिक रुचि परिसूचीमें बालिकाओं के लिए प्रतिरूप है – प्रतिरूप डब्ल्यू. बी.
- स्ट्रांग की व्यावसायिक रुचि परिसूची में बालकों के लिए प्रतिरूप है – प्रतिरूप ए
- रुचि गुप्त अवधान है एवं अवधान सक्रिय रुचि है। यह कथन है – मैक्डूगल का
- रुचि वह स्थिर मानसिक विधि है जो ध्यान क्रिया को सतत बनाती है। यह कथन है – बी.एन.झा का
- कूडर अधिमान लेख में पदों की संख्या है – 168
- कूडर अधिमान का रुचि मापन क्षेत्र है – सीमित
- कूडर अधिमान लेखा में रुचि मानदण्डों की संख्या है – 10
- थर्स्टन सूची में व्यावसायिक युग्मों की संख्या है – 100
- थर्स्टन रुचि अनुसूची के प्रशासन में समय लगता है – 10 मिनट
- क्लीटन की रुचि तालिका में कितने प्रतिरूप है – 3
- क्लीटन की व्यावसायिक रुचि तालिकामें पदों की संख्या है – 630
- ली थॉप की रुचि तालिका कितने क्षेत्रों में पर आधारित है – 6
- हेपनर की व्यावसायिक रुचि सूची में उपलब्ध पद है – 167
- एस. पी. कुलश्रेष्ठ व्यावसायिक एवं शैक्षिक प्रपत्र में शैक्षिक क्षेत्रों की संख्या है – 7
- एस. पी. कुलश्रेष्ठ की रुचि तालिका का सम्बन्ध है – व्यवसाय से, शैक्षिक क्षेत्र से
- स्टीवार्ड एण्ड ब्रेनार्ड की विशिष्ट रुचि तालिका में प्रतिरूपों की संख्या है – 7
- मूल्यांकन एक प्रक्रिया है – व्यापक
- किसी वस्तु का निर्धारण ही मूल्यांकन है। यह कथन है – टारगर्सन का व एडम्स का
- क्विलिन एवं हनन के अनुसार, मूल्यांकन है – शिक्षालय द्वारा छात्रों में किए गए परिवर्तनों का प्रमाणीकरण एवं व्यवस्था
- ली के अनुसार, मूल्यांकन है – शैक्षिक लक्ष्यों की प्राप्ति की प्रगति की जांच करना
- मूल्यांकन को शिक्षा के प्रति नवीन धारणा किसी विद्वान ने माना है – क्विलिन ने
- क्रोंनबैक के अनुसार, मूल्यांकन है – शिक्षण लक्ष्यों की प्राप्ति की जांच
- मूल्यांकन के सापेक्षिक रूप से नवीन प्राविधिक पद माना है – जे. डब्ल्यू. राइट स्टोन ने
- मूल्यांकन एक प्रक्रिया है – व्यापक, निरन्तर चलने वाली
- मूल्यांकन स्वरूप होता है – निदानात्मक, सुधारात्मक, समास्याओं का समाधान करने वाला
- मूल्यांकन की प्रमुख भूमिका होती है – योजना निर्माण में एवं भविष्यवाणी में
- मूल्यांकन की प्रशासनिक आवश्यकता होती है – संचित अभिलेख पत्र निर्माण में, योजना निर्माण में, त्रुटि सुधार में
- मूल्यांकन की शैक्षिक आवश्यकता होती है – पाठ्यक्रम निर्माण में, योग्यतानुसार वर्ग निर्माण में, शैक्षिक कठिनाईयों के समाधान में
- एक शिक्षक क्षरा स्तरीय शिक्षण व्यवस्था के लिए समूह निर्धारण किया जाए तो प्रमुख रूप से आवश्यकता होगी – मूल्यांकन की
- शोध कार्य में मूल्यांकन की आवश्यकता होती है – परकिल्पनाओं के मूल्यांकन के लिए
- छात्रों के लिए मूल्यांकन की आवश्यकता होती है – शैक्षिक प्रगति का मूल्यांकन के लिए, छात्रों की स्थिति के लिए, शैक्षिक समस्याओं के समाधान के लिए
- अभिभावकों को मूल्यांकन की आवश्यकता होती है – बालकों की योग्यता एवं रुचि के ज्ञान के लिए, बालक की त्रुटियों को दूर करने के लिए, उचित व्यवहार को सिखाने के लिए
- सामाजिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन की आवश्यकता होती है – शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए, सामाजिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए
- ई. वी. विण्डले के अनुसार, मूल्यांकन का महत्व है – शिक्षा नीति में परिवर्तन के लिए, शिक्षा की नवीन योजनाओं के निर्माण के लिए
- माध्यमिक शिक्षा आयोग के अनुसार,मूल्यांकन का महत्व है – सामाजिक दोष के लिए, विद्यालय के सफल संचालन के लिए, अपेक्षित अधिगम स्तर के लिए
- कोठारी आयोग के अनुसार,मूल्यांकन है – एक क्रमिक प्रक्रिया, शिक्षा प्रणाली का आवश्यक अंग, शिक्षा के उद्देश्यों से घनिष्ठ सम्बन्ध
- ग्रीन के अनुसार, मूल्यांकन का प्रयोग किया जाता है – विद्यालय कार्यक्रम की जांच के लिए, शैक्षिक सामग्री के जांच के लिए, पाठ्यक्रम तथा शिक्षक की जांच के लिए
- मूल्यांकन का प्रमुख उद्देश्य है – सर्वांगीण विकास
- समय-समय पर पाठ्यक्रम में परिवर्तन के लिए प्रमुख रूप से आवश्यकता होती है –मूल्यांकन की
- अध्यापककी शिक्षण कुशलता एवं सफलता की जांच के लिए प्रमुख रूप से आवश्यक है – मापन की, मूल्यांकन की
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य शैक्षिक मूल्यांकन से सम्बन्धित है – ज्ञान, बोध, सूचना
- किसके आधार पर छात्रों का तुलनात्मक अध्ययन सम्भव है – मूल्यांकन
- मूल्यांकन की प्रक्रिया में समय लगता है – अधिक
- मूल्यांकन का स्वरूप होता है – मात्रात्मक, गुणात्मक
- मूल्यांकन के आधार पर छात्र के सम्बन्ध में ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है – भविष्य एवं वर्तमान का
- दक्षता धारित मूल्यांकन का क्षेत्र व्यापक मूल्यांकन की तुलना में है – कम
- निम्नलिखित में किस तथ्य का मूल्यांकन व्यापक मूल्यांकन में किया जाता है – व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण, अभिरुचियां एवं अभिवृत्तियां, पाठ्यक्रम सम्बन्धी क्रिया एवं स्थास्थ्य विवरण
- निम्नलिखित में कौन-सा मूल्यांकन सतत् मूल्यांकन का अंग है – दैनिक मूल्यांकन, साप्ताहिक मूल्यांकन, मासिक मूल्यांकन
- मूल्यांकन के प्रमुख पक्ष है – तीन
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य मूल्यांकन के प्रमुख पक्षों से सम्बन्धित है – भावात्मक, संज्ञानात्मक, कौशलात्मक
- मूल्यांकन के संज्ञानात्मक पक्ष में मूल्यांकन किया जाता है – ज्ञान व बोध का
- प्रधान रुचियां एवं मान्यताएं सम्बन्धित है – भावात्मक पक्ष से
- मूल्यांकन के भावात्मक पक्ष से सम्बन्धित है – प्रधान रुचियां, व्यवस्थापन, चरित्रीकरण
- यान्त्रिक कुशलताएं मूल्यांकन के किस पक्ष से सम्बन्धित है – कौशलात्मक पक्ष से
- निम्नलिखितमेंकौन-सा तथ्य कौशलात्मक पक्ष से सम्बन्धित है – यान्त्रिक कुशलता
- बैस्ले के अनुसार, मापन है – मूल्यांकन का उपभाग, मूल्यांकन की तरह व्यापक
- एस. एस. स्टीवेन्सन के अनुसार, मूल्यांकन है – संख्यात्मक ज्ञान
- मापन का क्षेत्र है – सीमित
- मापन किया जा सकता है – मात्रात्मक रूप में
- तुलनात्मक अध्ययन किसके द्वारा सम्भव नहीं है – मापन के द्वारा
- मापन में समय लगता है – कम
- मापन होता है – निश्चित
- मापन में किसी वस्तु के पक्ष पर बल दिया जाता है – एक पक्ष पर
- मापन के क्षेत्र परीक्षण की तुलना में होता है – सीमित व संकुचित
- क्रियात्मक अनुसन्धान को व्यवस्थित खोज की प्रक्रिया किस विद्वान ने माना है – मेकग्रेथी ने
- क्रियात्मक अनुसन्धान का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में किस सन् से माना जाता है – सन् 1926 से
- बर्किंघम ने अपनी किस पुस्तक में क्रियात्मक अनुसन्धान का वर्णन किया है – रिसर्च फॉर टीयर्स
- क्रियात्मक अनुसन्धान की उत्पत्ति का प्रमुख सिद्धान्त है – आधुनिक मानव व्यवस्था का सिद्धान्त
- क्रियात्मक अनुसन्धान का प्रयोग एक शिक्षक द्वारा किया जा सकता है – छात्रों की शैक्षिक समस्याओं के समाधान में
- क्रियात्मक अनुसन्धान में प्रमुख भूमिका होती है – शिक्षक तथा छात्र की
- क्रियात्मक अनुसन्धान का उपयोग किया जा सकता है – प्रभावी गृह कार्य के लिए, वर्तनी सम्बन्धी शुद्धता के लिए, कक्षा शिक्षण में गुणवत्तापूर्ण सुधार के लिए
- हार्लोडएच. एण्डरसन के अनुसार, क्रियात्मक अनुसन्धान के सोपानों की संख्या है – सात
- एक कक्षा में शिक्षक द्वारा सर्वप्रथम विचार किया जाता है कि कक्षा में छात्र विलम्ब से क्यों आते हैं? इस क्रिया में शिक्षक अनुकरण करता है – प्रथम सोपान का
- अनुसन्धान प्रस्ताव क्रियात्मक अनुसन्धान का कारण है – द्वितीय
- हार्लोड एच. एण्डरसन ने अपनी पुस्तक क्रियात्मक अनुसन्धान के ऊपर लिखी थी, उसका नाम है – एन इन्ट्रो लोकेशन टु प्रोजेक्टिव टेक्नीक
- अनुसन्धान प्रस्ताव में शिक्षक द्वारा ध्यान दिया जाता है – क्रियान्वयन तथा उद्देश्यों पर
- शिक्षक द्वारा परिकल्पनाओं के निर्माण में परिकल्पनाओंकी संख्या होती है – अनिश्चित
- क्रियात्मक अनुसन्धान के प्रारूप के अन्तर्गत निश्चय किया जाता है – उपकरण एवं न्यादर्श का, प्रक्रिया का, समय एवं धन का
- एन. सी. ई. आर. टी. की प्रायोगिक शोध योजना में सोपानों की संख्या है – तेरह
- निम्नलिखित में कौन सा तथ्य समस्या विश्लेषण से सम्बन्धित है – कारण, साक्षी, अनुसंधानकर्ता का नियन्त्रण
- निम्नलिखित समस्या विश्लेषण में अनुसन्धानकर्ता के नियन्त्रण सम्बन्धी सोपान में कौन-सी समस्या अनुसन्धानकर्ता के नियन्त्रण से है – अध्ययन के समय विभिन्न शब्दों की वर्तनी पर ध्यान न देना, गृहकार्य को सही रूप में न करना, छात्रों में शुद्ध ज्ञान एवं व्यावहारिक ज्ञान में अभाव का पाया जाना।
- क्रियात्मक अनुसन्धान के लिए सर्वप्रथम आवश्यकता है – समस्या के स्पष्ट एवं वास्तविक स्वरूप की
- परिकल्पानाओं के निर्माण में शिक्षण को सर्वप्रथम उन तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए जो कि शिक्षक नियन्त्रण में होते हैं – प्रत्यक्ष रूप से
- क्रियात्मक अनुसन्धान का उद्देश्य सम्बन्धित होता है – कक्षा शिक्षण की कार्य पद्धति में सुधार
- क्रियात्मक अनुसन्धान के अन्तर्गत समस्या का स्वरूप होता है – सीमित
- क्रियात्मक अनुसन्धान में अनुसन्धानकर्ता को आवश्यकता होती है – सामान्य प्रशिक्षण की
- क्रियात्मक अनुसन्धान में मूल्यांकन किया जाता है – शिक्षक द्वारा
- क्रियात्मक अनुसन्धान में आवश्यकता नहीं होती है – सामान्यीकरण की
- क्रियात्मक अनुसन्धान का क्षेत्र होता है – कक्षा तथा विद्यालय
- क्रियात्मक अनुसन्धान में अनुसन्धानकर्ता होते हैं – शिक्षक, निरीक्षक, प्रशासक
- किस अनुसन्धान में अनुसन्धानकर्ता का समस्या से प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है – क्रियात्मक अनुसन्धान में
- क्रियात्मक अनुसन्धान का प्रमुख उद्देश्य है – कक्षा शिक्षण की कार्य पद्धति में सुधार
- किस अनुसन्धान में समस्या का क्षेत्र संकुचित होता है – क्रियात्मक अनुसन्धान में
- किस अनुसन्धान में समस्या का स्वरूप व्यावहारिक होता है – क्रियात्मक अनुसन्धान में
- किस अनुसन्धान में अनुसन्धानकर्ता को विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है – क्रियात्मक अनुसन्धान में
- क्रियात्मक अनुसन्धान में परिकल्पनाओं का विश्लेषण आधारित होता है – कारण विश्लेषण पर तथा निरीक्षण पर
- क्रियात्मक अनुसन्धान में समंक संकलन में सर्वाधिक प्रयोग होता है – निरीक्षण विधि का
- क्रियात्मक अनुसन्धान में न्यादर्श लिया जाता है – कक्षा कक्ष से
- क्रियात्मक अनुसन्धान में संसाधनों का एकत्रीकरण किया जाता है – शिक्षक द्वारा
- क्रियात्मक अनुसन्धान स्वरूप है – शिक्षक द्वारा
- अनुसन्धान कार्यों में सहायता देने वाली संस्था है – एन. एस. ई. आर. टी. एवं एस. सी. ई. आर. टी.
- क्रियात्मक अनुसन्धान स्वरूप है – मौलिक, ऐतिहासिक या प्रयोगात्मक अनुसंधान में से कोई नहीं
- क्लार्क एवं स्टार के अनुसार, उपराचारात्मक शिक्षण है – विशेष शिक्षा
- उपचारात्मक शिक्षण की आवश्यकता होती है – बालकों द्वारा निर्धारित लक्ष्य न प्राप्त करने की स्थिति में, किसी विषय में पिछड़ जाने की स्थिति में
- ब्लेयर एवं जोन्स के अनुसार, उपचारात्मक शिक्षण करता है – सतर्कता पूर्ण निदान
- उपचारात्मक शिक्षण को सर्वोत्तम शिक्षण किस विद्वान ने माना है – ब्लेयर एवं जोन्स ने
- उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की जाती है – औपचारिक रूप से
- उपचारात्मक शिक्षण आधारित है – निदानात्मक विधियों पर
- उपचारात्मक शिक्षण में किया जाता है – छात्रों की त्रुटियों का निदान, छात्रों की शैक्षिक समस्याओं का निदान
- उपचारात्मक शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य है – अधिगम प्रक्रिया के तनाव एवं संघर्ष को समाप्त करना।
- उपचारात्मक शिक्षण का प्रमुख कार्य है – अधिगम सम्बन्धी समस्याओं की खोज, अधिगम सम्बन्धी समस्याओं का निराकरण
- उपचारात्मक शिक्षण की आवश्यकता होती है – कमजोर एवं मन्द बुद्धि छात्रों के लिए
- उपचारात्मक शिक्षण की आवश्यकता सामान्यत: किस विषय में होती है – गणित, विज्ञान तथा अंग्रेजी में
- उपचारात्मक शिक्षण में शिक्षक को होना चाहिए – सकारात्मक एवं आत्मीय
- उपचारात्मक शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य होता है – दोषपूर्ण आदतों का उत्तम आदतों में परिवर्तन
- उपचारात्मक शिक्षण में कक्षा-कक्ष का वातावरण होना चाहिए – रुचिपूर्ण, शान्तिपूर्ण, शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के अनुकूल
- उपचारात्मक शिक्षणकी अवधि सामान्य रूप से होनी चाहिए – 40 मिनट
- उपचारात्मक शिक्षण में बालक में प्रमुख रूप से जाग्रत करना आवश्यक होता है – विश्वास
- व्यक्तिगत उपचारात्मक शिक्षण सम्भव हो सकता है जहां छात्र संख्या होती है – कम
- विशेष कक्षाओं का आयोजन स्वरूप है – उपचारात्मक शिक्षण का
- निम्नलिखित में कौन-से कार्य उपचारात्मक शिक्षण से सम्बन्धित हो सकते हैं – विशेष कक्षाओं का आयोजन, अतिरिक्त गृहकार्य, अतिरिक्त कक्षा कार्य
- मन्द बुद्धि बालकों के लिए उपचारात्मक शिक्षण का उद्देश्य होना चाहिए – स्वस्थ आदतों का निर्माण, शारीरिक स्वास्थ्य की उन्नति
- स्किनर के अनुसार, मन्द्र बुद्धि बालकों के लिए पाठ्यक्रम की व्यवस्था होनी चाहिए – शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर आधारित
- फ्रेण्डसन के अनुसार, मन्द बुद्धि बालकों को आवश्यकता होती है – व्यक्तिगत उपचारात्मक शिक्षण की
- मन्द बुद्धिबालकों को उपचारात्मक शिक्षा प्रदान करते समय कक्षा में छात्रों की संख्या लगभग होनी चाहिए (फ्रैण्डसन के अनुसार) – 12 से 15
- क्रो एण्ड क्रो ने उपचारात्मक शिक्षण में शिक्षक की भूमिका को स्वीकार किया है – परामर्शदाता के रूप में
- उपचारात्मक शिक्षण की अवधारणा का उदय माना जाता है – आधुनिक
- उपचारात्मक शिक्षण में छात्रों में प्रमुख रूप से विकसित करना चाहिए – आत्मविश्वास
- उपचारात्मक शिक्षण में सम्प्रेषण का महत्व माना जाता है – छात्रों द्वारा समस्या के प्रस्तुतीकरण के लिए, प्रमापी शिक्षण अधिगम के लिए
- उपचारात्मक शिक्षण में बालकों की त्रुटियों एवं स्थितियों के ज्ञान के लिए किए जाने वाले परीक्षणों में निहित होनी चाहिए – विश्वसनीयता, वैधता, प्रामाणिकता
- हिन्दी विषय में उपचारात्मक शिक्षण में उच्चारण में सुधार के लिए प्रयोग करना चाहिए – अभ्यास एवं पुनरावृत्ति
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य उपचारात्मक शिक्षण को प्रभावी बनाने से सम्बन्धित है – सम्प्रेषण, पृष्ठ पोषण, तकनीकी का प्रयोग
- सांख्यिाकी शब्द की उत्पत्ति मानी जाती है – लैटिन तथा जर्मन भाषा दोनों से
- लैटिन भाषा के शब्द Status का अर्थ है – राज्य एवं सरकार
- जर्मन भाषा के शब्द Statistics का अर्थ है – राज्य एवं सरकार
- सांख्यिकी का प्रयोग सम्भव है – अर्थशास्त्र, भौतिक शास्त्र एवं मनोविज्ञान में
- वर्तमान में सांख्यिकी का कार्यक्षेत्र है – व्यापक
- लौविट के अनुसर, सांख्यिाकी का कार्य है – आंकिक तथ्यों का सारणीकरण एवं वर्गीकरण, घटनाओं की व्याख्या एवं वर्णन, परस्पर तुलनात्मक अध्ययन
- सांख्यिकी को अनुसन्धान का उपकरण किस विद्वान ने माना है – टाटे ने
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य सांख्यिकी से सम्बन्धित है – आंकड़े, विश्लेषण एवं संश्लेषण, सारणीयन एवं वर्गीकरण
- सांख्यिकी का प्रमुख लाभ है – आंकड़ों का सरलीकरण, तुलनात्मक अध्ययन, परीक्षणों का निर्माण
- सांख्यिकी का व्यापक प्रयोग होता है – अनुसन्धान में
- सांख्यिकी का प्रयोग नहींकिया जा सकता है – इकाई के अध्ययन में
- सांख्यिकी के द्वारा प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है – समस्या का समाधान
- सांख्यिकी के निष्कर्ष होते हैं – शुद्धता वैधता एवं विश्वसनीयता के निकट
- अयोग्य व्यक्तियों के हाथ में सांख्यिकीय रीतियां अत्यन्त खतरनाक औजार हैं। यह कथन है – यूल का एवं कैण्डाल का
- एल हेन्स के अनुसार, केन्द्रीय प्रवृत्ति की आवश्यकता होती है – प्रदत्तों की जटिलता कम करने के लिए, तुलनात्मक अध्ययन के लिए
- गिलफोर्ड के अनुसर, केन्द्रीय मूल्य को प्रकट करने वाले अंक है – औसत
- केन्द्रीय प्रवृत्ति को एक विशेष मापन एवं एक विशेष मूल्य किस विद्वान ने माना है – सिम्पसन एवं काफ्का ने
- केन्द्रीय प्रवृत्ति का मापन एक ऐसा मूल्य है जो प्रतिनिधित्व करता है – सम्पूर्ण श्रृंखला
- केन्द्रीय प्रवृत्ति के प्रमुख मापक है – तीन
- निम्नलिखित में कौ-सा तथ्य केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापन से सम्बन्धित है – मध्यमान, मध्यांक, बहुलांक
- मध्यमान एक लब्धि है जो समूह के पदों की संख्या से विभाजित करने पर प्राप्त होती है। यह कथन है – सिम्पसन का एवं काफ्का
- गैरिट ने मध्यमान को माना है – प्राप्तांकों के योग को उसकी संख्या से विभाजित करने पर प्राप्त मूल्य
- 14, 20, 18, 27, 21 का मध्यमान होगा – 20
- मध्यमान के मूल्य में निहित होती है – वस्तुनिष्ठता, विश्वसनीयता, बैधता
- मध्यमान के सभी प्राप्तांकों के विचलन का योग होता है – शून्य
- मध्यमान से किए गए विचलनों के वर्गों का योग किसी अन्य मूल्य से लिए गए विचलनों के योग से होता है – कम
- मध्यमान का मापन किस दशा में सम्भव नहीं होता है – किसी एक मापन के उपलब्ध न होने पर, दो मापनों के उपलब्ध न होने पर, तीन मापनों के उपलब्ध न होने पर
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य मध्यमान के दोषों से सम्बन्धित है – अंकों के पूर्ण विवरण के उपलब्ध न होने पर मध्यमान की गणना सम्भव न होना।
- जब सर्वाधिक स्थिर एवं विश्वसनीय मूल्य की गणना करनी हो तो प्रयोग करना चाहिए – मध्यमान का
- मध्यमान ज्ञात करने की विधि होती है – दो
- समान्तर माध्य ज्ञात करने का सूत्र है –
- ”मध्यांक मान श्रेणी में मध्य बिन्दु है।” यह परिभाषा है – गैरिट की
- मध्यांक मूल्य रहता है – निश्चित
- मध्यांक का प्रमुख दोष है – बीजगणितीय विवेचन का न होना, श्रृंखला में प्रतिनिधित्व न होना, संख्यात्मक मूल्यों को क्रम में व्यवस्थित करना।
- मध्यांक ज्ञात करने के लिए प्रथम सोपान है – श्रेणी को व्यवस्थित करना, श्रेणी को आरोही या अवरोही क्रम में रखना।
- N की स्थिति सम संख्या में हो तो मध्यांक ज्ञात मध्यांक ज्ञात करने का सूत्र होगा –
- जब N का मान विषय संख्या में हो तो मध्यांक ज्ञात करने का सूत्र होगा –
- बहुलांक शब्द की उत्पत्ति हुई – फ्रेंच भाषा से
- Le Mode शब्द है – फ्रेंच भाषा का
- Le Mode का अर्थ है – सर्वाधिक फैशन में
- बहुलांक वह मापन या प्राप्तांक है जो घटित होता है। यह परिभाषा है – गैरिट की
- 18, 20, 21, 22, 20 में बहुलांक है – 20
- बहुलांक का प्रमुख दोष है – वर्णन द्वारा व बिना गणना के
- बहुलांक का प्रमुख दोष है – बीजगणितीय विवेचन का अभाव
- बहुलक ज्ञात करेन का सूत्र है –
- बहुलांक का प्रयोग करना चाहिए – शीघ्रता से केन्द्रीय प्रवृत्ति की गणना में
Post a Comment
0 Comments