बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र ( Child Development and Pedagogy ) Part – 6

Pedagogy

  • ‘Pedagogy’शब्‍द की उत्‍पत्ति हुई है –यूनानी भाषा से
  • ‘Pedagogy’ का अर्थ है –शिक्षण विधियां
  • ‘शिक्षणशास्‍त्र को शिक्षण विधियों की कला’ किसने माना है –शब्‍दकोश से
  • शिक्षणशास्‍त्र है –कला एवं विज्ञान
  • शिक्षणशास्‍त्र में निहित है –शिक्षा व शिक्षण
  • शिक्षणशास्‍त्र में प्रमुखता है –वैज्ञानिकता की
  • ”शिक्षण को समस्‍या समाधान का आविष्‍कार” किसने कहा है –एच. जे. तीविट ने
  • राष्‍ट्रीय शिक्षा तकनीकी परिषद् द्वारा शिक्षणशास्‍त्र है –अधिगम प्रक्रिया में सुधार हेतु विधियों का विकास, तकनीकी एवं सहायक साधनों का प्रयोग एवं मूल्‍यांकन
  • एक शिक्षक शिक्षण करते समय बालकेन्द्रित विधियों के साथ-साथ शिक्षण अधिगम सामग्री का प्रयोग करता है। वह अनुकरण करता है –शिक्षणशास्‍त्र का
  • ”विज्ञान एवं तकनीकी के नियमों तथा नवीनतम आविष्‍कारों के शिक्षा प्रक्रिया में प्रयोग को शिक्षणशास्‍त्र” कहा जाता है। यह कथन है –एस. एस. कुणकर्णी का
  • आई.के.डेविस के अनुसार, शिक्षणशास्‍त्र का सम्‍बन्‍ध है –शिक्षण एवं प्रशिक्षण की समस्‍याओं से
  • डब्‍ल्‍यू. के रिचमण्‍डके अनुसार शिक्षणशास्‍त्र सम्‍बन्धित है –समुचित अधिगम परिस्थितियों के निर्माण से, शिक्षण अथवा प्रशिक्षण के लक्ष्‍यों की प्राप्ति से, अनुदेशन के सर्वोत्‍तम साधनों की व्‍यवस्‍था से
  • शिक्षणशास्‍त्र का सम्‍बन्‍ध होता है –शिक्षक की लगन, शिक्षक की प्रतिबद्धता, शिक्षक की जवाबदेही
  • शिक्षणशास्‍त्र का उद्देश्‍य है –शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में प्रभावी सुधार
  • निम्‍नलिखित में कौन-सा तथ्‍य शिक्षणशास्‍त्र के कलात्‍मक पक्ष से संबंधित है –भावात्‍मक क्रियाएं, मूल्‍य एवं विश्‍वास, दार्शनिक कथन
  • कौन-से कथन शिक्षणशास्‍त्र के वैज्ञानिक पक्ष से सम्‍बन्धित है –क्रियात्‍मक पक्ष
  • शिक्षणशास्‍त्र है –तकनीकी एवं विधियों का विज्ञान
  • शिक्षणशास्‍त्र को रचनात्‍मक शिक्षणशास्‍त्र का नाम किस विद्वान ने दिया है –सिल्‍वरमैन ने
  • अध्‍यापक होता है –जन्‍मजात व प्रशिक्षण द्वारा
  • शिक्षणशास्‍त्र शैक्षिक प्रक्रिया का है –यन्‍त्रीकरण व वैज्ञानिकीकरण
  • शिक्षणशास्‍त्र द्वारा सम्‍भव होता है –ज्ञान संचय, ज्ञान संचार, ज्ञान विकास
  • शिक्षणशास्‍त्र है –आधुनिक विषय
  • शिक्षणशास्‍त्र बल देता है –शिक्षण यंत्रों के प्रयोग पर, नवीन शिक्षण विधियों के प्रयोग पर, शिक्षण अधिगम सामग्री के प्रयोग पर
  • शिक्षणशास्‍त्र है –साधन
  • प्राचीन काल में शिक्षणशास्‍त्र के प्रमुख साधन थे –चार्ट एवं मॉडल
  • वर्तमान समय में शिक्षणशास्‍त्र के साधन है –दूरदर्शन
  • शिक्षणशास्‍त्र में समावेश है –अधिगम का, सूक्ष्‍म शिक्षण का, व्‍यवहार विश्‍लेषण का
  • हिलायार्ड जेसन के अनुसार,शिक्षणशास्‍त्र के लिक्ष्‍य है – सूचना प्रसार, विशिष्‍ट कौशलों के अभ्‍यास में सहायता, पृष्‍ठपेाषण की व्‍यवस्‍था में सहयोग देना
  • शिक्षणशास्‍त्र के सामान्‍य लक्ष्‍य है – समूची शिक्षा पद्धति का प्रबन्‍ध करना
  • शिक्षणशास्‍त्र का विशिष्‍ट लक्षय है –विद्यार्थियों की शिक्षा सम्‍बन्‍धी आवश्‍यकता को पहचानना
  • शिक्षणशास्‍त्र का प्रमुख लक्ष्‍य है –अधिगम विधियों का आधुनिकीकरण
  • हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर एवं जनसंचार माध्‍यमों का प्रयोग शिक्षणशास्‍त्र के किस उद्देश्‍य के अन्‍तर्गत आता है –विशिष्‍ट उद्देश्‍य
  • शिक्षण अधिगम विधियों का आधुनिकीकरण शिक्षणशास्‍त्र के किस उद्देश्‍य के किस उद्देश्‍य में आता है –प्रमुख उद्देश्‍य
  • समूची शिक्षा पद्धति में सुधार एवं प्रबन्‍ध का उद्देश्‍य आता है –सामान्‍य उद्देश्‍य
  • शिक्षणशास्‍त्र का प्रमुख क्षेत्र है –शिक्षण अधिगम विश्‍लेषण का विकास
  • रोनथ्री के अनुसार,शिक्षणशास्‍त्र का क्षेत्र है –उद्देश्‍य व लक्ष्‍यों की पहचान, अधिगम पर्यावरण का आयोजन, विषय-वस्‍तु की खोजन एवं संरचना
  • राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसर,शिक्षणशास्‍त्र का प्रमुख क्षेत्रहै शिक्षा के औपचारिक एवं अनौपचारिक क्षेत्रों में सूचना का प्रसार
  • शिक्षणशास्‍त्र के प्रमुख पक्ष है –तीन
  • शिक्षणशास्‍त्र के अदा पक्ष से आशय है –छात्र का प्रारम्भिक व्‍यवहार
  • शिक्षणशास्‍त्र के प्रदा पक्ष से अभिप्राय है –छात्र का अन्तिम व्‍यवहार
  • निम्‍नलिखित में कौन-सा पक्ष शिक्षणशास्‍त्र से सम्‍बन्धित है –अदा, प्रदा, अधिगम प्रक्रिया
  • निम्‍नलिखित में से कौन-सा तथ्‍य अदा प्रक्रिया में सवावेशित नहीं होता है –विषय-वस्‍तु की विशेषताओं की पहचान
  • निम्‍नलिखित में कौन-सा तथ्‍य प्रदापक्ष से सम्‍बन्धित नहीं है –विषय-वस्‍तु की विशेषताओं को पहचानना
  • विषय-वस्‍स्‍तु के स्‍तर होते हैं –तीन
  • विषय-वस्‍तु का तार्किक क्रम में प्रस्‍तुतीकरण सम्‍बन्धित है – विषय-वस्‍तु से, शिक्षण अभ्‍यास से
  • शिक्षण विश्‍वास में निहित तत्‍व है –शिक्षण में संलग्‍नता, शिक्षण में निष्‍ठता, शिक्षण में प्रतिबद्धता
  • निम्‍नलिखित में कौन-सा तथ्‍य शिक्षण अभ्‍यास से सम्‍बन्धित नहीं है –शिक्षण वृत्ति में नैतिकमूल्‍यों का पालन
  • शिक्षण विधियों एवं शिक्षण सूत्रों का प्रयोग स‍म्‍बन्धित है –शिक्षण अभ्‍यास से
  • पृष्‍ठपोषण शिक्षणशास्‍त्र का सोपान है –अन्तिम
  • शिक्षणशास्‍त्र का प्रथम सोपान है –शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का विश्‍लेषण
  • शिक्षण अधिगम प्रक्रियाशिक्षणशास्‍त्र का पक्ष है –मध्‍यस्‍थ
  • प्रदा शिक्षणशास्‍त्र का कौन-सा पक्ष है –तृतीय
  • अदा शिक्षणशास्‍त्र का कौन से पक्ष है –प्रथम
  • सुसकरात को एक शिक्षककेरूप में स्‍वीकार किया जाए तो आप उसे मानेंगे –जन्‍मजा‍त शिक्षक
  • शिक्षणशास्‍त्र के अध्‍ययन से शिक्षक को ज्ञान होता है –शिक्षण सूत्रों का, शिक्षण विधियों का, शिक्षण विज्ञान का
  • शिक्षणशास्‍त्र में विश्‍लेषणात्‍मक शिक्षण सम्‍बन्धित है –कलात्‍मक पक्ष से एवं वैज्ञानिक पक्ष से
  • आलोचनात्‍मक शिक्षण को शिक्षणशास्‍त्र के किस पक्ष से सम्‍बन्धित माना जाता है –कलात्‍मक पक्ष
  • शिक्षणशास्‍त्र में प्रभावी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया सम्‍बन्धित है –कलात्‍मक एवं वैज्ञानिक पक्ष से
  • शिक्षणशास्‍त्र की अवधारणा के विकास में सहयोगरहा है –श्रव्‍य-दृश्‍य साधनों के उपयोग का एवं विकसित यंत्रों एवं उपकरणों के उपयोग का
  • अभिक्रमित अनुदेशन एवं अधिगमशिक्षणशास्‍त्र के विकास में है –सहायक
  • शिक्षणशास्‍त्र की प्रकृति है –कलात्‍मक, वैज्ञानकि, तकनीकी से सम्‍बन्धित

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